चंडी मंदिर हापुड़, भारत के उत्तर प्रदेश में स्थित है। यह मंदिर पूरे जिले के भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है। मान्यता है कि यहां पर श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। मंदिर, देवी चंडी को समर्पित है, जिन्हें शक्ति की देवी माना जाता है। यह एक सिद्धपीठ है। हापुड़ नगर में बुलंदशहर रोड पर स्थित ग्राम चितौली के इस प्राचीन मंदिर की गलियों में जाने के लिए सीढ़ियां बनी हैं। यहां मां चंडी के अलावा नौ देवियां विराजमान है। मान्यता है कि यह मां चंडी का वह स्वरूप है, जो महिषासुर के संहार के समय था। यहां श्रद्धालु दिल्ली, हरियाणा सहित अन्य राज्यों से माता रानी के दर्शन करने के लिए आते हैं।
मां दुर्गा के चंडी रुप में जिले में प्राचीन मंदिर के कपाट हर समय खुला रहता है। सालों से मान्यता है कि मां चंडी मंदिर में रोज शयन करने जाती है। प्रातः काल 4 बजे से मैया अपने धाम आ जाती है। वर्तमान में इस रास्ते के बाहर एक दहलीज बनी हुई है। तहों में 18 बंधों वाले काले पत्थर की पांच फीट वाली सबसे ऊपरी चंडी मां की विकराल प्रतिमा विराजमान है। मान्यता है कि मां का विकराल रुप कोई नहीं देख सकता। इसलिए रास्ता बंद किया गया। यहां विशेष रुप से पशु बलि देने की मान्यता है लेकिन अब केवल बकरे के कान काटकर पूरे पशु को मालिक को सौंप दिया जाता है। मां चंडी की पिंडी के ऊपर एक छेद है जिससे जल की बूंद मां की प्रतिमा पर गिरती है। इससे मां का क्रोध शांत हो जाता है। हर साल देश विदेश से हजारों श्रद्धालु मां चंडी के चरणों की पावन रज पाने के लिए दरबार में आकर पूजा अर्चना करते हैं। मां हर भक्त की मनोकामना पूर्ण करती हैं, कहा जाता है कि यहां से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता है।
इस मंदिर में एक दिन में पांच बार आरती की जाती है। मां चंडी मंदिर में नवरात्र में नौ दिन विशेष अनुकंपा होती है। पिंडी स्वरुप मां का पंचामृत से स्नान अभिषेक किया जाता है। चुनरी, नारियल, वक्र का सामान आदि चढ़ावा चढ़ाने की मंदिर में पुरानी परंपरा है। नवरात्रों में माता को दूध एवं दही की अखंड धारा अर्पित रहती है। प्रथम नवरात्र को जागरण और अष्टमी को हलवे एवं मेवे का भोग लगाया जाता है। मां चंडी को छप्पन भोग भी लगाया जाता है।
हवाई मार्ग - यहां का निकटतम हवाई अड्डा दिल्ली का इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट हैं। यहां से आप बस या टैक्सी के द्वारा हापुड़ पहुंच सकते हैं। दिल्ली से हापुड़ की दूरी 70 से 80 किमी है।
रेल मार्ग - यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन हापुड़ स्टेशन हैं। स्टेशन से आप ऑटो के द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं। यहां से मंदिर की दूरी 3 से 4 किमी है।
सड़क मार्ग - दिल्ली से हापुड़ तक अच्छी सड़के है। एन-एच 9 के द्वारा आप आसानी से पहुंच सकते हैं।
मंदिर का समय - मंदिर सुबह 5 बजे से रात 10 बजे तक खुला रहता है।
महाकुंभ 2025 की शुरुआत 13 जनवरी से प्रयागराज में होने वाली है। अब जब भी कुंभ की बात हो, और शाही स्नान की बात न हो, ऐसा हो नहीं सकता। कुंभ और शाही स्नान एक दूसरे के बिना अधूरे हैं।
शाही स्नान कुंभ मेले का प्रमुख आकर्षण है। इसके लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु और साधु संत महाकुंभ वाली जगह इकट्ठे होते हैं। इस दौरान सबसे पहले अखाड़ों के साधु-संत, विशेष रूप से नागा साधु, पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।
अक्षत यानी कि पीले चावल। हिंदू धर्म में अक्षत को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। इसे पूजा-पाठ में मुख्य रूप से इस्तेमाल किया जाता है। बिना खंडित हुए चावल को अक्षत कहते हैं। यह पूजा में इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पवित्रता, समृद्धि और अखंडता का प्रतीक माना जाता है। पूजा-पाठ अक्षत के बिना अधूरा माना जाता है। यह पूजा का विशेष सामग्री है।
हिंदू धर्म में शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित होता है। शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है और उनकी कृपा पाने के लिए भक्त विभिन्न प्रकार के उपाय करते हैं। इनमें से एक प्रमुख उपाय है शनिवार के दिन शनिदेव को तेल चढ़ाना है।