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घनश्याम तेरी बंसी, पागल कर जाती है (Ghanshyam Teri Bansi Pagal Kar Jaati Hai)

घनश्याम तेरी बंसी, पागल कर जाती है (Ghanshyam Teri Bansi Pagal Kar Jaati Hai)

घनश्याम तेरी बंसी,

पागल कर जाती है,

मुस्कान तेरी मोहन,

घायल कर जाती है ॥


घनश्याम तेरी बंसी,

पागल कर जाती है,

मुस्कान तेरी मोहन,

घायल कर जाती है ॥


सोने की होती तो,

क्या करते तुम मोहन,

ये बांस की होकर भी,

दुनिया को नचाती है ॥


घनश्याम तेरी बंसी,

पागल कर जाती है,

मुस्कान तेरी मोहन,

घायल कर जाती है ॥


तुम गोरे होते तो,

क्या कर जाते मोहन,

जब काले रंग पर ही,

दुनिया मर जाती है ॥


घनश्याम तेरी बंसी,

पागल कर जाती है,

मुस्कान तेरी मोहन,

घायल कर जाती है ॥


दुख दर्दों को सहना,

बंसी ने सिखाया है,

इसके छेद है सीने मे,

फ़िर भी मुस्काती है ॥


घनश्याम तेरी बंसी,

पागल कर जाती है,

मुस्कान तेरी मोहन,

घायल कर जाती है ॥


कभी रास रचाते हो,

कभी बंसी बजाते हो,

कभी माखन खाने की,

मन में आ जाती है ॥


घनश्याम तेरी बंसी,

पागल कर जाती है,

मुस्कान तेरी मोहन,

घायल कर जाती है ॥

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