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हे गणपति गजानन, मेरे द्वार तुम पधारो (Hey Ganpati Gajanan Mere Dwar Tum Padharo)

हे गणपति गजानन, मेरे द्वार तुम पधारो (Hey Ganpati Gajanan Mere Dwar Tum Padharo)

हे गणपति गजानन,

मेरे द्वार तुम पधारो,

बिगड़ी मेरी बना के,

मेरा भाग्य तुम सवारों,

हे गणपति गजानंद,

मेरे द्वार तुम पधारो ॥


शुभ लाभ के हो दाता,

तुम भाग्य के विधाता,

मर्जी बिना तुम्हारे,

धन धान्य कुछ ना आता,

नैया फसी भवर में,

इसे पार तुम उतारो,

बिगड़ी मेरी बना के,

मेरा भाग्य तुम सवारों,

हे गणपति गजानंद,

मेरे द्वार तुम पधारो ॥


निर्बल को देते काया,

निर्धन पे करते छाया,

देवों में अग्रणी तुम,

जग तुझमे ही समाया,

दे ज्ञान का तू दर्पण,

मुझको भी तो उबारो,

बिगड़ी मेरी बना के,

मेरा भाग्य तुम सवारों,

हे गणपति गजानंद,

मेरे द्वार तुम पधारो ॥


जानू ना पाठ जप तप,

कैसे तुझे मनाऊं,

तेरी महिमा गा के भगवन,

तुझको तो मैं रिझाऊं,

रिद्धि सिद्धि संग विनायक,

मेरी प्रार्थना स्वीकारो,

बिगड़ी मेरी बना के,

मेरा भाग्य तुम सवारों,

हे गणपति गजानंद,

मेरे द्वार तुम पधारो ॥


हे गणपति गजानन,

मेरे द्वार तुम पधारो,

बिगड़ी मेरी बना के,

मेरा भाग्य तुम सवारों,

हे गणपति गजानंद,

मेरे द्वार तुम पधारो ॥

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उत्पन्ना एकादशी का चालीसा

उत्पन्ना एकादशी सनातन धर्म में एक महत्वपूर्ण तिथि है, जो भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है। वैसे तो हर माह में दो एकादशी आती है, लेकिन उत्पन्ना एकादशी का महत्व इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि इस दिन मां एकादशी का जन्म हुआ था।

उत्पन्ना एकादशी के उपाय

उत्पन्ना एकादशी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और घर-परिवार में खुशहाली बनी रहती है।

उत्पन्ना एकादशी के जाप मंत्र

उत्पन्ना एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण तिथि है, जो भगवान विष्णु और एकादशी माता की पूजा के लिए समर्पित है।

Hari Sundar Nand Mukunda Lyrics (हरि सुंदर नंद मुकुंदा)

हरि सुंदर नंद मुकुंदा,
हरि नारायण हरि ॐ

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