जब तें रामु ब्याहि घर आए(Jab Te Ram Bhayai Ghar Aaye)

॥ दोहा॥

श्री गुरु चरन सरोज रज

निज मनु मुकुरु सुधारि ।

बरनउँ रघुबर बिमल जसु

जो दायकु फल चारि ॥


॥ चौपाई ॥

जब तें रामु ब्याहि घर आए ।

नित नव मंगल मोद बधाए ॥

भुवन चारिदस भूधर भारी ।

सुकृत मेघ बरषहिं सुख बारी ॥1॥


रिधि सिधि संपति नदीं सुहाई ।

उमगि अवध अंबुधि कहुँ आई ॥

मनिगन पुर नर नारि सुजाती ।

सुचि अमोल सुंदर सब भाँती ॥2॥


कहि न जाइ कछु नगर बिभूती ।

जनु एतनिअ बिरंचि करतूती ॥

सब बिधि सब पुर लोग सुखारी ।

रामचंद मुख चंदु निहारी ॥3॥


मुदित मातु सब सखीं सहेली ।

फलित बिलोकि मनोरथ बेली ॥

राम रूपु गुन सीलु सुभाऊ ।

प्रमुदित होइ देखि सुनि राऊ ॥4॥

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होलाष्टक पर भूलकर भी ना करें ये गलती

होलाष्टक की तिथि शुभ कार्य के लिए उचित नहीं मानी जाती है, इन तिथियों के अनुसार इस समय कुछ कार्य करने से सख्त मनाही होती है। क्योंकि इन्हीं दिनों में भक्त प्रह्लाद पर उनके पिता हिरण्यकश्यप ने बहुत अत्याचार किया था।

ओ मेरे बाबा भोलेंनाथ (O Mere Baba Bholenath)

ना मांगू मैं हीरे मोती,
ना मांगू मैं सोना चांदी,

अथ तन्त्रोक्तं रात्रिसूक्तम् (Ath Tantroktam Ratri Suktam)

तन्त्रोक्तम् रात्रि सूक्तम् यानी तंत्र से युक्त रात्रि सूक्त का पाठ कवच, अर्गला, कीलक और वेदोक्त रात्रि सूक्त के बाद किया जाता है।

सात्विक मंत्र क्या है?

हिंदू धर्म और सनातन परंपरा में मंत्रों का विशेष महत्व है। इनके उच्चारण से ना सिर्फ आध्यात्मिक उन्नति होती है। बल्कि, यह मानसिक और शारीरिक शांति भी प्रदान करता है।

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