जय हो जय हो महाकाल राजा,
तेरी किरपा की छाई है छाया ।
जय हो जय हो महाकाल राजा,
तेरी किरपा की छाई है छाया ।
हर तरफ तू ही तू है समाया,
धन्य तेरी है तेरी ही माया ।
जय हो जय हो महाकाल राजा,
तेरी किरपा की छाई है छाया ।
तुमने देवो को अमृत दिया है,
आपने खुद ही विष को पिया है ॥
देवताओं का मान बडाया,
सागरमंथन के विष से बचाया ॥
जय हो जय हो महाकाल राजा,
तेरी किरपा की छाई है छाया ॥
वरदानी हो भोले कैलाशी,
डमरू वाले है काशी के वासी ॥
गले सर्पो का हार सजाया,
सर भभुति का टीका लगाया ॥
जय हो जय हो महाकाल राजा,
तेरी किरपा की छाई है छाया ॥
भोले जिसने भी तुमको पुकारा,
तुमने उनको दिया है सहारा ॥
सारे भगतो का मान बड़ाया,
तेरे चरणो में शिवाजी आया ॥
जय हो जय हो महाकाल राजा,
तेरी किरपा की छाई है छाया ॥
कार्तिक मास का महत्व तो आप इस श्लोक से समझ ही गए होंगे। हिंदू धर्म में कार्तिक मास को सबसे पवित्र महीना माना जाता है।
हिंदू धर्म में समय की गति के साथ-साथ आध्यात्मिक महत्व भी बदलता है। ऐसे ही हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने का अपना एक विशेष महत्व और उद्देश्य होता है।
आ जाओ भोले बाबा मेरे मकान मे,
तेरा डम डम डमरू बोले सारे जहान में ॥
ओ बाबा तेरे भक्त बुलाये,
आ जाओ गजानन प्यारे,