मेरी आस तू है माँ,
विश्वास तू है माँ,
मेरी हर ख़ुशी का अब,
आगाज़ तू है माँ,
दे दे माँ आँचल की छइयां मुझे,
ले ले माँ बाहों में अपनी मुझे ॥
ग़म के थपेड़े ये,
कैसे सहें मैया,
एक बार आके माँ,
तू थाम ले बइयाँ,
वरना मैं समझूंगा नाराज़ तू है माँ,
मेरी हर ख़ुशी का अब,
आगाज़ तू है माँ,
दे दे माँ आँचल की छइयां मुझे,
ले ले माँ बाहों में अपनी मुझे ॥
कितनी करूँ कोशिश,
कोई काम नहीं बनता,
दिल पे लगे ज़ख्मो का,
माँ दर्द नहीं थमता,
करदे करम मुझपे मोहताज हूँ मैं माँ,
मेरी हर ख़ुशी का अब,
आगाज़ तू है माँ,
दे दे माँ आँचल की छइयां मुझे,
ले ले माँ बाहों में अपनी मुझे ॥
किस्मत मेरी मैया,
क्यों मुझसे रूठ गई,
इसके संवरने की,
उम्मीद भी टूट गई,
कल तक अकेला था पर आज तू है माँ,
मेरी हर ख़ुशी का अब,
आगाज़ तू है माँ,
दे दे माँ आँचल की छइयां मुझे,
ले ले माँ बाहों में अपनी मुझे ॥
नैया भंवर में है,
तुझको पुकारा माँ,
सूझे नहीं रस्ता,
तुझको निहारा माँ,
‘हरी’ हार नहीं सकता गर साथ तू है माँ,
मेरी हर ख़ुशी का अब,
आगाज़ तू है माँ,
दे दे माँ आँचल की छइयां मुझे,
ले ले माँ बाहों में अपनी मुझे ॥
मेरी आस तू है माँ,
विश्वास तू है माँ,
मेरी हर ख़ुशी का अब,
आगाज़ तू है माँ,
दे दे माँ आँचल की छइयां मुझे,
ले ले माँ बाहों में अपनी मुझे ॥
दिवाली पूजा के बाद लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों को सही तरीके से संभालना बेहद महत्वपूर्ण है। पुरानी मूर्तियों को सम्मान के साथ विसर्जित करना और नई मूर्तियों को पूजा स्थल पर स्थापित करना शुभ माना जाता है। गलत तरीके से मूर्तियों का उपयोग करने से पूजा का फल नष्ट हो सकता है।
हिंदू धर्म में दीपावली का पर्व पांच दिनों तक चलता है, जिसकी शुरुआत धनतेरस से ही होती है। इसके बाद रूप चौदस, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज जैसे पर्व आते हैं।
सनातन धर्म में गोवर्धन पूजा विशेष है। इसे अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व दीपावली के दूसरे दिन मनाया जाता है और इस साल गोवर्धन पूजा 2 नवंबर को होगी। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विधान है।
गोवर्धन पूजा के दिन भक्त गोवर्धन महाराज की नाभि पर दीपक जलाते हैं। इस प्रथा के पीछे भगवान कृष्ण से जुड़ी एक रोचक कथा है।