औघड़ दानी रहा अलख जगा ॥
दोहा – जन्म लिए श्री कृष्ण कन्हाई,
जग में हुआ उजाला,
नाची धरती झूमा अम्बर,
लो आया भक्तों का रखवाला।
खुली समाधी भोले की,
हुई श्याम दरश की चाह,
बनके औघड़ चढ़ नंदी पे,
बाबा चले गोकुल की राह ॥
औघड़ दानी रहा अलख जगा,
मैया तुम्हारे दर पे खड़ा,
औघड दानी रहा अलख जगा,
औघड दानी रहा अलख जगा ॥
अंग भभूति तन मृग छाला,
सर्पो के गहने रे गले मुंडमाला,
देख डर जाएगा रे मेरा लाडला,
देख डर जाएगा रे मेरा लाडला ॥
कण कण में मैया वास है जिनका,
जन जन को अहसास है जिनका,
कालो का काल है जो सबसे बड़ा,
औघड दानी रहा अलख जगा,
औघड दानी रहा अलख जगा ॥
हिरे लेजा मोती लेजा भरभर थाल तू,
मांग ले जो चाहे जोगी मैं तत्काल दूँ,
लेके घर जा रे तू क्यों जिद पे अड़ा,
लेके घर जा रे तू क्यों जिद पे अड़ा ॥
दिखा दे झलक मैया अपने सपूत की,
दर्शन की भिक्षा डालो झोली अवधूत की,
लाल तुम्हारा मेरे चित पे चढ़ा,
औघड दानी रहा अलख जगा,
औघड दानी रहा अलख जगा ॥
रोया कन्हैया मैया घबराई,
गोद में उठाकर दौड़ी दौड़ी आई,
नज़र ना लगाना तेरा होगा भला,
नज़र ना लगाना तेरा होगा भला ॥
दर्शन करके शिव त्रिपुरारी,
नाचे रे भोला मेरा देख बिहारी,
मौका है चोखा ‘लख्खा’ झूमझूम गा,
मौका है चोखा ‘लख्खा’ झूमझूम गा ॥
औघड़ दानी रहा अलख जगा,
मैया तुम्हारे दर पे खड़ा,
औघड दानी रहा अलख जगा,
औघड दानी रहा अलख जगा ॥
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का चौथा दिन मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप मां कूष्मांडा की उपासना को समर्पित होता है। मां कूष्मांडा को ब्रह्मांड की रचयिता माना गया है। 'कूष्मांड' शब्द का अर्थ है, ‘कु’ यानी थोड़ा, ‘उष्म’ यानी ऊर्जा और ‘अंड’ यानी ब्रह्मांड।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का पांचवां दिन मां दुर्गा के पंचम स्वरूप मां स्कंदमाता की उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। मां स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं, जिन्होंने राक्षसों से देवताओं की रक्षा के लिए युद्ध किया था।
हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। यह तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है और प्रत्येक माह आने वाली चतुर्थी के बीच आषाढ़ की विनायक चतुर्थी का विशेष महत्व होता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी मनाई जाती है, लेकिन आषाढ़ मास की विनायक चतुर्थी विशेष रूप से फल्दायाक मानी जाती है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा, व्रत और कथा पाठ करने से जीवन के समस्त विघ्न समाप्त होते हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।