औघड़ दानी रहा अलख जगा ॥
दोहा – जन्म लिए श्री कृष्ण कन्हाई,
जग में हुआ उजाला,
नाची धरती झूमा अम्बर,
लो आया भक्तों का रखवाला।
खुली समाधी भोले की,
हुई श्याम दरश की चाह,
बनके औघड़ चढ़ नंदी पे,
बाबा चले गोकुल की राह ॥
औघड़ दानी रहा अलख जगा,
मैया तुम्हारे दर पे खड़ा,
औघड दानी रहा अलख जगा,
औघड दानी रहा अलख जगा ॥
अंग भभूति तन मृग छाला,
सर्पो के गहने रे गले मुंडमाला,
देख डर जाएगा रे मेरा लाडला,
देख डर जाएगा रे मेरा लाडला ॥
कण कण में मैया वास है जिनका,
जन जन को अहसास है जिनका,
कालो का काल है जो सबसे बड़ा,
औघड दानी रहा अलख जगा,
औघड दानी रहा अलख जगा ॥
हिरे लेजा मोती लेजा भरभर थाल तू,
मांग ले जो चाहे जोगी मैं तत्काल दूँ,
लेके घर जा रे तू क्यों जिद पे अड़ा,
लेके घर जा रे तू क्यों जिद पे अड़ा ॥
दिखा दे झलक मैया अपने सपूत की,
दर्शन की भिक्षा डालो झोली अवधूत की,
लाल तुम्हारा मेरे चित पे चढ़ा,
औघड दानी रहा अलख जगा,
औघड दानी रहा अलख जगा ॥
रोया कन्हैया मैया घबराई,
गोद में उठाकर दौड़ी दौड़ी आई,
नज़र ना लगाना तेरा होगा भला,
नज़र ना लगाना तेरा होगा भला ॥
दर्शन करके शिव त्रिपुरारी,
नाचे रे भोला मेरा देख बिहारी,
मौका है चोखा ‘लख्खा’ झूमझूम गा,
मौका है चोखा ‘लख्खा’ झूमझूम गा ॥
औघड़ दानी रहा अलख जगा,
मैया तुम्हारे दर पे खड़ा,
औघड दानी रहा अलख जगा,
औघड दानी रहा अलख जगा ॥
जून का महीना वर्ष का मध्य बिंदु लेकर आता है, जहां ग्रीष्म ऋतु के अंत के साथ ही मानसून की आहट मिलती है। इस मौसम परिवर्तन के साथ-साथ ग्रहों की स्थिति में भी कई महत्वपूर्ण बदलाव होंगेI
जून का महीना स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से विशेष सावधानी की मांग करता है। जहां एक ओर बारिश का आगमन मौसम में ठंडक और नमी लेकर आता है, वहीं दूसरी ओर यह संक्रमण, एलर्जी और पाचन संबंधी समस्याओं को भी बढ़ावा देता है।
जून का महीना प्रेम और रिश्तों के क्षेत्र में नए अवसर और भावनात्मक गहराई लेकर आ रहा है। कई राशियों को पुराने संबंधों में सुधार का अवसर मिलेगा, जबकि कुछ को थोड़ी सावधानी और धैर्य से काम लेना होगा।
जून 2025 का महीना व्यापार से जुड़े लोगों के लिए नये अवसरों, साझेदारी प्रस्तावों और लाभ-हानि के संतुलन का समय है। इस माह ग्रहों की चाल विशेषकर बृहस्पति, शनि, राहु और बुध के प्रभाव व्यापारिक गतिविधियों को सीधे प्रभावित करेंगे।