जागो पहाड़ावाली तेरा,
जागण वेला होया,
जागो गौरा माई तेरा,
जागण वेला होया ॥
जागण चिड़िया,
जागे माई ज्वाल्पा,
जागे जगमग ज्योत माँ,
तेरा जागण वेला होया
जागो पहाड़ां वाली,
तेरा जागण वेला होया ॥
नगरकोट महारानी जागो,
जागो ज्वाला माई,
तेरा जागण वेला होया
जागो पहाड़ां वाली,
तेरा जागण वेला होया ॥
गुण गांवा ललिता जी जागो
जागो झंडेवाली माई,
तेरा जागण वेला होया
जागो पहाड़ां वाली,
तेरा जागण वेला होया ॥
दुर्गा लक्ष्मी सरस्वती जागो,
जाग रही माँ काली,
तेरा जागण वेला होया
जागो पहाड़ां वाली,
तेरा जागण वेला होया ॥
जागो जीण माता असावरा जागो,
जागो जोगमाया माई,
तेरा जागण वेला होया
जागो पहाड़ां वाली,
तेरा जागण वेला होया ॥
जागो मनसा देवी नैना देवी जागो,
जागो कंवलका माई,
तेरा जागण वेला होया
जागो पहाड़ां वाली,
तेरा जागण वेला होया ॥
जागो जगदम्बा जागो जोगणिया,
जागो संतोषी माई,
तेरा जागण वेला होया
जागो पहाड़ां वाली,
तेरा जागण वेला होया ॥
जागो माई शारदा कामख्या जागो,
जागो चामुण्डा माई,
तेरा जागण वेला होया
जागो पहाड़ां वाली,
तेरा जागण वेला होया ॥
जागो विंध्यवासिनी,
कैला मैया जागो,
जागो नारायणी माई,
तेरा जागण वेला होया
जागो पहाड़ां वाली,
तेरा जागण वेला होया ॥
जागो पहाड़ावाली तेरा,
जागण वेला होया,
जागो गौरा माई तेरा,
जागण वेला होया ॥
समतापुर नगर में मधुसूदन नामक एक व्यक्ति रहता था। वह बहुत धनवान था। मधुसूदन का विवाह बलरामपुर नगर की सुंदर लड़की संगीता से हुआ था।
सालों पहले नल नामक एक राजा राज किया करते थे। उनकी पत्नी का नाम दमयंती था। दोनों अपने दो बेटों के साथ सुखी जीवन जी रहे थे।
प्राचीनकाल में एक गरीब पुजारी हुआ करता था। उस पुजारी की मृत्यु के बाद उसकी विधवा पत्नी अपने भरण-पोषण के लिए पुत्र को साथ लेकर भीख मांगती हुई शाम तक घर वापस आती थी।
इतनी कथा सुन महाराज युधिष्ठिर बोले- हे दशी जनार्दन आपको नमस्कार है। हे देवेश ! मनुष्यों के कल्याण के लिए मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी का नाम एवं माहात्म्य वर्णन कर यह बतलाइये कि उसकीएकादशी माहात्म्य-भाषा विधि क्या है?