पायो जी मैंने राम रतन धन पायो (Piyo Ji Maine Ram Ratan Dhan Payo)

पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।

पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।


वस्तु अमोलिक दी मेरे सतगुरु ।

कृपा कर अपनायो ॥

पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।

पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।


जन्म जन्म की पूंजी पाई ।

जग में सबी खुमायो ॥

पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।

पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।


खर्च ना खूटे, चोर ना लूटे।

दिन दिन बढ़त सवायो॥

पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।

पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।


सत की नाव खेवटिया सतगुरु।

भवसागर तरवयो॥

पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।

पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।


मीरा के प्रभु गिरिधर नगर।

हर्ष हर्ष जस गायो॥

पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।

पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।

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बजरंग बाण (Bajrang Baan)

निश्चय प्रेम प्रतीति ते,
बिनय करैं सनमान ।

मुरली बजा के मोहना (Murli Bajake Mohana Kyon Karliya Kinara)

मुरली बजा के मोहना, क्यों कर लिया किनारा।
अपनों से हाय कैसा, व्यवहार है तुम्हारा॥

सूर्य स्तोत्र

विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः।
लोक प्रकाशकः श्री मांल्लोक चक्षुर्मुहेश्वरः ॥ लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिस्रहा।

वैकुंठ चतुर्दशी की कथा

वैकुंठ चतुर्दशी हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। ये कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और शिव जी का पूजन एक साथ किया जाता है।

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