पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।
वस्तु अमोलिक दी मेरे सतगुरु ।
कृपा कर अपनायो ॥
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।
जन्म जन्म की पूंजी पाई ।
जग में सबी खुमायो ॥
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।
खर्च ना खूटे, चोर ना लूटे।
दिन दिन बढ़त सवायो॥
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।
सत की नाव खेवटिया सतगुरु।
भवसागर तरवयो॥
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।
मीरा के प्रभु गिरिधर नगर।
हर्ष हर्ष जस गायो॥
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।
म्हारे सर पर है मैया जी रो हाथ,
कोई तो म्हारो कई करसी ॥
म्हारी झुँझन वाली माँ,
पधारो कीर्तन में,
मिल कहो गर्व से हिन्दू है हम,
यह हिन्दूस्तान हमारा,
मेरी विपदा टाल दो आकर,
हे जग जननी माता ॥