प्रथमेश गजानन नाम तेरो,
हृदय में पधारो मेहर करो,
हृदय में पधारो मेहर करो,
अमृत रस म्हा पर बरसाओ,
आ जाओ अब ना देर करो,
प्रथमेश गजानंद नाम तेरो,
प्रथमेश गजानंद नाम तेरो ॥
म्हारे आंगण पाँव धरो देवा,
पावन कर दो म्हारी कर्म धरा,
हे सिद्धिविनायक गणनायक,
हे सिद्धिविनायक गणनायक,
इतनी सी अरज स्वीकार करो,
प्रथमेश गजानंद नाम तेरो,
प्रथमेश गजानंद नाम तेरो ॥
हे एकदन्त शंकर सुवन,
सगळा का काज सरया थासु,
म्हणे अपनी शरण में रख लीजो,
म्हणे अपनी शरण में रख लीजो,
म्हारो भी थे उद्धार करो,
प्रथमेश गजानंद नाम तेरो,
प्रथमेश गजानंद नाम तेरो ॥
भक्ता का पालनहार गजानंद,
शिव अमृत अभिनन्दन है,
हे सुखकर्ता हे विघ्नहर्ता,
हे सुखकर्ता हे विघ्नहर्ता,
हर सुख का नमन स्वीकार करो,
प्रथमेश गजानंद नाम तेरो,
प्रथमेश गजानंद नाम तेरो ॥
प्रथमेश गजानन नाम तेरो,
हृदय में पधारो मेहर करो,
हृदय में पधारो मेहर करो,
अमृत रस म्हा पर बरसाओ,
आ जाओ अब ना देर करो,
प्रथमेश गजानंद नाम तेरो,
प्रथमेश गजानंद नाम तेरो ॥
महाकुंभ 2025 का इंतजार खत्म होने को है। 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा से इस भव्य आयोजन की शुरुआत होगी, जो 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के पावन स्नान के साथ संपन्न होगा। संगम में पुण्य की डुबकी लगाने के लिए करोड़ों श्रद्धालु उमड़ेंगे। इस ऐतिहासिक आयोजन को सुगम बनाने के लिए सरकार ने रेल, बस और हवाई सेवाओं को और सशक्त किया है।
साल 2025 आ चुका है और इंतजार की घड़ियां अब खत्म होने वाली हैं, क्योंकि महाकुंभ मेला 2025 का आयोजन कुछ ही दिनों में शुरू होने वाला है। यह धार्मिक उत्सव 12 साल बाद एक बार फिर प्रयागराज में होगा, जहां देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पहुंचने की उम्मीद है।
जनवरी से कुंभ स्नान और मेला शुरू होने जा रहा है, खास बात यह है कि यह 'महाकुंभ' है, जिसका मुहूर्त 144 साल बाद आ रहा है। अनुमान है कि इस विशाल आयोजन में करीब 40 करोड़ श्रद्धालु शामिल होंगे।
महाकुंभ की शुरुआत में अब कुछ ही समय बाकी है, और इसमें शाही स्नान का महत्व अत्यधिक है। 12 साल में एक बार होने वाला यह महाकुंभ, न केवल शरीर की शुद्धि के लिए बल्कि आत्मिक उन्नति के लिए भी एक खास अवसर है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शाही स्नान से व्यक्ति के सभी पाप और कष्ट नष्ट हो जाते हैं, और देवी-देवता भी इस समय धरती पर आते हैं।