रघुनन्दन राघव राम हरे
सिया राम हरे सिया राम हरे ।
रघुनन्दन राघव राम हरे
सिया राम हरे सिया राम हरे ।
रघुनन्दन राघव राम हरे
सिया राम हरे सिया राम हरे ।
आजु मिथिला नगरिया निहाल सखिया,
चारों दुलहा में बड़का कमाल सखिया!
आज राम मेरे घर आए,
मेरे राम मेरे घर आए,
आज सोमवार है ये शिव का दरबार है,
भरा हुआ भंडार है,
आज तो गुरुवार है, सदगुरुजी का वार है।
गुरुभक्ति का पी लो प्याला, पल में बेड़ा पार है ॥