संसार ने जब ठुकराया
तब द्वार तेरे प्रभु आया ॥
मैने तुझे कभी ना ध्यया
तूने सदा सदा अपनाया
संसार ने जब ठुकराया ॥
मैं मद माया में झूला
तेरे उपकर को भूला
मैं मृग माया में झूला
तेरे उपकर को भूला
तूने कभी नही बिसराया
तूने सदा सदा अपनाया
मैं ही जाग भरमाया
तूने सदा सदा अपनाया
संसार ने जब ठुकराया ॥
संसार ने जब ठुकराया
तब द्वार तेरे प्रभु आया ॥
था नींद में सोया
शुभ अवसर हाथ से खोया
शुभ अवसर हाथ से खोया
जब लूट रही थी माया
तूने कितनी बार जगाया
संसार ने जब ठुकराया ॥
संसार ने जब ठुकराया
तब द्वार तेरे प्रभु आया ॥
जग में सब कुछ था तेरा
मैं कहता रहा मेरा मेरा
मैं कहता रहा मेरा मेरा
अब अंत समय जब आया
मैं मन मन ही पछताया
हरि शरण तुम्हारी आया
तब चरण मही चढ़ाया ॥
संसार ने जब ठुकराया
तब द्वार तेरे प्रभु आया ॥
संसार ने जब ठुकराया
तब द्वार तेरे प्रभु आया ॥
हिंदू पंचांग के अनुसार, गंगा सप्तमी का पर्व वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं।
भानु सप्तमी एक महत्वपूर्ण दिन है, जो सूर्य देव को समर्पित है। इस दिन सूर्य देव की पूजा का विशेष विधान शास्त्रों में वर्णित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सप्तमी तिथि पर सूर्य देव अवतरित हुए थे। इसलिए इस तिथि पर सूर्य देव की पूजा और व्रत करने का विधान है।
भानु सप्तमी इस साल 4 मई, रविवार को है और इस दिन सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है। सप्तमी तिथि को बड़ा ही शुभ माना जाता है, खासकर जब यह रविवार के दिन पड़ती है। इस दिन मध्याहन के समय सूर्य देव की पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
भानु सप्तमी एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है, जो सूर्य देव की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन सूर्य देव की आराधना करने से व्यक्ति को अपने जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भानु सप्तमी का व्रत करने से न केवल भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है, बल्कि यह आत्मिक शांति और मोक्ष का मार्ग भी प्रशस्त करता है।