शंकर दयालु दूसरा, तुमसा कोई नहीं (Shankar Dayalu Dusra Tumsa Koi Nahi)

शंकर दयालु दूसरा,

तुमसा कोई नहीं,

देने से पहले तू जरा,

क्यों सोचता नहीं,

शंकर दयालु दुसरा,

तुमसा कोई नहीं ॥


भस्मासुर ने भक्ति से,

तुझको रिझा लिया,

वरदान भस्म करने का,

दानव ने पा लिया,

तुझको ही भस्म करने की,

पापी ने ठान ली,

देने से पहले तू जरा,

क्यों सोचता नहीं,

शंकर दयालु दुसरा,

तुमसा कोई नही ॥


गिरिजा की जिद पे था बना,

सोने का वो महल,

मोहरत कराने आया था,

रावण पिता के संग,

सोने की लंका दुष्ट की,

झोली में डाल दी,

देने से पहले तू जरा,

क्यों सोचता नहीं,

शंकर दयालु दुसरा,

तुमसा कोई नहीं ॥


मंथन की गाथा क्या कहे,

क्या क्या नहीं हुआ,

अमृत पिलाया देवों को,

और विष तू पी गया,

देवों का देव ‘हर्ष’ तू,

दुनिया ये जानती,

देने से पहले तू जरा,

क्यों सोचता नहीं,

शंकर दयालु दुसरा,

तुमसा कोई नहीं ॥


शंकर दयालु दूसरा,

तुमसा कोई नहीं,

देने से पहले तू जरा,

क्यों सोचता नहीं,

शंकर दयालु दुसरा,

तुमसा कोई नहीं ॥

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प्राणो से भी प्यारा, दादी धाम तुम्हारा (Prano Se Bhi Pyara Dadi Dham Tumhara)

प्राणो से भी प्यारा,
दादी धाम तुम्हारा,

लाड़ली अद्भुत नजारा, तेरे बरसाने में है (Ladli Adbhut Nazara, Tere Barsane Me Hai)

तेरे बरसाने में है,
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सुनलो बाबा बजरंगी,
मैं कैसे तुझे रिझाऊं,

होली खेल रहे बांकेबिहारी आज रंग बरस रहा(Holi Khel Rahe Banke Bihari Aaj Rang Baras Raha)

होली खेल रहे बांकेबिहारी आज रंग बरस रहा
और झूम रही दुनिया सारी,

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