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शंकर दयालु दूसरा, तुमसा कोई नहीं (Shankar Dayalu Dusra Tumsa Koi Nahi)

शंकर दयालु दूसरा, तुमसा कोई नहीं (Shankar Dayalu Dusra Tumsa Koi Nahi)

शंकर दयालु दूसरा,

तुमसा कोई नहीं,

देने से पहले तू जरा,

क्यों सोचता नहीं,

शंकर दयालु दुसरा,

तुमसा कोई नहीं ॥


भस्मासुर ने भक्ति से,

तुझको रिझा लिया,

वरदान भस्म करने का,

दानव ने पा लिया,

तुझको ही भस्म करने की,

पापी ने ठान ली,

देने से पहले तू जरा,

क्यों सोचता नहीं,

शंकर दयालु दुसरा,

तुमसा कोई नही ॥


गिरिजा की जिद पे था बना,

सोने का वो महल,

मोहरत कराने आया था,

रावण पिता के संग,

सोने की लंका दुष्ट की,

झोली में डाल दी,

देने से पहले तू जरा,

क्यों सोचता नहीं,

शंकर दयालु दुसरा,

तुमसा कोई नहीं ॥


मंथन की गाथा क्या कहे,

क्या क्या नहीं हुआ,

अमृत पिलाया देवों को,

और विष तू पी गया,

देवों का देव ‘हर्ष’ तू,

दुनिया ये जानती,

देने से पहले तू जरा,

क्यों सोचता नहीं,

शंकर दयालु दुसरा,

तुमसा कोई नहीं ॥


शंकर दयालु दूसरा,

तुमसा कोई नहीं,

देने से पहले तू जरा,

क्यों सोचता नहीं,

शंकर दयालु दुसरा,

तुमसा कोई नहीं ॥

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फाल्गुन कृष्ण विजया नाम एकादशी व्रत (Phalgun Krishna Vijaya Naam Ekaadashi Vrat)

इतनी कथा सुन महाराज युधिष्ठिर ने फिर भगवान् श्रीकृष्ण से पूछा कि अब आप कृपाकर फाल्गुन कृष्ण एकादशी का नाम, व्रत का विधान और माहात्म्य एवं पुण्य फल का वर्णन कीजिये मेरी सुनने की बड़ी इच्छा है।

फाल्गुन शुक्ल आमलकी नाम एकादशी व्रत (Falgun Shukal Aamlaki Naam Ekadashi Vrat)

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चैत कृष्ण पापमोचनी एकादशी (Chait Krishna Papamochani Ekadashi)

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चैत्र शुक्ल कामदा नामक एकादशी व्रत-माहात्म्य (Chaitr Shukl Kaamda Naamak Ekaadashee Vrat-Maahaatmy)

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