तेरे डमरू की धुन सुनके, मैं काशी नगरी आई हूँ(Tere Damru Ki Dhun Sunke Main Kashi Nagri Aayi Hun)

तेरे डमरू की धुन सुनके,

मैं काशी नगरी आई हूँ,

मेरे भोले ओ बम भोले,

मैं काशी नगरी आई हूँ ॥


सुना है हमने ओ भोले,

तेरी काशी में मुक्ति है,

उसी मुक्ति को पाने को,

मैं काशी नगरी आई हूँ,

मेरे भोले ओ बम भोले,

मैं काशी नगरी आई हूँ ॥


सुना है हमने ओ भोले,

तेरी काशी में गंगा है,

उसी गंगा में नहाने को,

मैं काशी नगरी आई हूँ,

मेरे भोले ओ बम भोले,

मैं काशी नगरी आई हूँ ॥


सुना है हमने ओ भोले,

तेरी काशी में मंदिर है,

उसी मन्दिर में पूजा को,

मैं काशी नगरी आई हूँ,

मेरे भोले ओ बम भोले,

मैं काशी नगरी आई हूँ ॥


सुना है हमने ओ भोले,

तेरी काशी में भक्ति है,

उसी भक्ति को पाने को,

मैं काशी नगरी आई हूँ,

मेरे भोले ओ बम भोले,

मैं काशी नगरी आई हूँ ॥


तेरे डमरू की धुन सुनके,

मैं काशी नगरी आई हूँ,

मेरे भोले ओ बम भोले,

मैं काशी नगरी आई हूँ ॥

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नंदी पे बिठा के तू, घूमा दे भोले(Nandi Pe Bitha Ke Tu Ghuma De Bhole)

नंदी पे बिठा के तू,
घूमा दे भोले जोगिया,

नरक चतुर्दशी की कथा (Narak Chaturdashi ki Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण अपनी पत्नियों के साथ द्वारिका में निवास कर रहे थे।

जिस देश में, जिस भेष में, जिस धाम में रहो(Jis Desh Mein Jis Vesh Main Raho)

जिस देश में, जिस भेष में, जिस धाम में रहो
राधा रमण, राधा रमण, राधा रमण कहो

सफला एकादशी व्रत कैसे करें

साल में 24 एकादशी का व्रत रखा जाता है। ये सभी भगवान विष्णु को समर्पित होते है। एकादशी व्रत हर महीने के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर रखा जाता है, जो प्रत्येक माह में दो बार आती है।

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