तूने अजब रचा भगवान खिलौना माटी का,
माटी का रे, माटी का,
माटी का रे, माटी का,
तूने अजब रचा भगवान खिलौना माटी का ।
कान दिए हरी भजन सुनन को,
हो कान दिए हरी भजन सुनन को,
तु मुख से कर गुणगान,
खिलौना माटी का ।
तूने अजब रचा भगवान खिलौना माटी का ।
जीभा दी हरी भजन करन को,
हो जीभा दी हरी भजन करन को,
दी आँखे कर पहचान,
खिलौना माटी का ।
तूने अजब रचा भगवान खिलौना माटी का ।
शीश दिया गुरु चरण झुकन को,
हो शीश दिया गुरु चरण झुकन को,
और हाथ दिए कर दान,
खिलौना माटी का ।
तूने अजब रचा भगवान खिलौना माटी का ।
सत्य नाम का बना का बेडा,
हो सत्य नाम का बना का बेडा,
और उतरे भव से पार,
खिलौना माटी का ।
तूने अजब रचा भगवान खिलौना माटी का ।
माता के भक्तों के लिए नवरात्रि सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। इन नौ दिनों में देश ही नहीं दुनिया भर में मैय्या रानी के जगराते और पूजन पाठ किए जाते हैं। मैय्या हर दिन एक अलग रूप में भक्तों को दर्शन देती है और भक्त भी मां के उस स्वरूप की आराधना कर अपने मन की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
अगर आप पितृपक्ष के अवसर पर पिंडदान के लिए बिहार के गया आ रहे हैं और ठहरने के लिए महंगे होटलों में पैसे खर्च करने की स्थिति में नहीं हैं, तो घबराने की जरूरत नहीं है।
पितृपक्ष हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण समय माना जाता है, इस वर्ष इसकी शुरुआत बीते 17 सितंबर से हो गई है। ज्योतिर्वेद विज्ञान केंद्र पटना के ज्योतिषाचार्य डॉ. राजनाथ झा के अनुसार यह 15 दिनों का एक अति विशेष कालखंड होता है जब लोग अपने पूर्वजों को तर्पण और श्राद्ध अर्पित करते हैं, जिससे उनकी आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति हो सके।
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