चारधाम यात्रा, भारत के सबसे पवित्र तीर्थ यात्राओं में से एक मानी जाती है, जो उत्तराखंड के चार प्रमुख धार्मिक स्थलों को जोड़ती है। आमतौर पर चारधाम यात्रा हरिद्वार से शुरू होती है और लगभग 9 रातें और 10 दिन में पूरी की जाती है। यह यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि हिमालय की सुंदर वादियों में प्रकृति का संगम भी प्रस्तुत करती है।
हरिद्वार भारत के प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और लखनऊ से अच्छी तरह रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है। श्रद्धालु पहले हरिद्वार रेलवे स्टेशन तक ट्रेन से पहुंच सकते हैं और फिर हरिद्वार से चारधाम जाने के लिए बस और टैक्सी भी उपलब्ध हैं। साथ ही, उत्तराखंड परिवहन निगम और निजी ऑपरेटरों की सेवाएं भी ली जा सकती हैं। सड़क के रास्ते से यात्रा करते समय कई सुंदर दर्शनीय स्थल भी देखने को मिलते हैं, जिससे यात्रा और भी आनंदमई हो जाती है।
चारधाम यात्रा की शुरुआत और समाप्ति हरिद्वार से होती है, इसलिए वहां कई धर्मशालाएं, गेस्ट हाउस और होटल उपलब्ध हैं। जिन्हें आप अपनी सुविधा और बजट के अनुसार ठहरने के लिए चुन सकते हैं। साथ ही, प्रत्येक धाम के समीप होटल, लॉज, गेस्ट हाउस और टेंट कैम्पिंग की सुविधाएं भी उपलब्ध होती हैं। विशेषकर गंगोत्री और यमुनोत्री के रास्तों में छोटे-छोटे गेस्ट हाउस और ढाबे मिलते हैं, वहीं केदारनाथ और बद्रीनाथ में बेहतर होटल सुविधाएं भी उपलब्ध हैं, जहां आप आराम से रुक सकते हैं।
चारधाम यात्रा में आराम और लक्जरी के अनुसार तीन प्रकार के यात्रा बजट होते हैं, आइए जानते हैं इनके बारे में :
पंचांग के अनुसार फाल्गुना माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है। वहीं आज मंगलवार का दिन है। इस तिथि पर भरणी नक्षत्र और इंद्र योग का संयोग बन रहा है। वहीं चंद्रमा मेष राशि में संचार कर रहे हैं और सूर्य कुंभ राशि में मौजूद हैं।
चांग के अनुसार फाल्गुना माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी और सप्तमी तिथि है। वहीं आज बुधवार का दिन है। इस तिथि पर कृत्तिका नक्षत्र और विष्कुम्भ योग का संयोग बन रहा है। वहीं चंद्रमा वृषभ राशि में संचार कर रहे हैं और सूर्य कुंभ राशि में मौजूद हैं।
पंचांग के अनुसार फाल्गुना माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि है। वहीं आज गुरुवार का दिन है। इस तिथि पर रोहिणी नक्षत्र और विष्कुम्भ योग का संयोग बन रहा है। वहीं चंद्रमा वृषभ राशि में संचार कर रहे हैं और सूर्य कुंभ राशि में मौजूद हैं।
हिंदू धर्म में पांच विशेष दिन माने गए हैं जिन्हें अबुझ मुहूर्त कहा जाता है। इन दिनों में कोई भी शुभ कार्य बिना शुभ मुहूर्त देखे किया जा सकता है। हिंदू धर्म में शुभ मुहूर्त का बहुत महत्व है। खासकर विवाह जैसे मांगलिक कार्यों के लिए।