सनातन धर्म में सोमवार के दिन देवों के देव महादेव की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। सोमवार व्रत के बारे में ऐसी मान्यता है कि यह सभी परेशानियों को दूर कर सकता है। दरअसल इस व्रत का संबंध शिव जी से बताया जाता है। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि यह व्रत करने से व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यही कारण है कि लोग सोमवार का व्रत रखते हैं। वहीं, शास्त्रों में सोमवार के व्रत को लेकर खास नियम और विधियां बताई गई हैं। ऐसे में अगर भी यह व्रत शुरू करना चाहते हैं तो पहले जान लीजिए इससे जुड़े खास नियमों के बारे में। तो चलिए शुरू करते हैं...
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, अगर आप सोमवार व्रत शुरू करना चाहते हैं तो चैत्र वैशाख, कार्तिक और मार्गशीर्ष के महीने में शुरू कर सकते हैं। इसके अलावा श्रावण मास के किसी भी सोमवार को शुरू कर सकते हैं। सावन के महीने में यह व्रत शुरू करना अत्यंत ही शुभ माना गया है। बता दें कि सोमवार का व्रत रखने के बाद इसका उद्यापन किया जाता है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा की जाती है और ब्राह्मणों या पंडितजी को भोजन करवाया जाता है।
अगर आप सोमवार का व्रत शुरू करने वाले हैं तो, व्रत वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर आवश्यक काम निपटाने के बाद स्नान कर लें। फिर स्वच्छ कपड़े धारण करें। उसके बाद पूजा घर में गंगा जल या पवित्र जल का छिड़काव करें। फिर एक चौकी पर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या फोटो स्थापित करें और व्रत का संकल्प लें। फिर विधिपूर्वक शिव और पार्वती की पूजा करें। उन्हें भोग अर्पित करें, धूप-दीप जलाएं और फिर आरती करें। आखिरी में सभी के बीच प्रसाद बांट दें।
पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए 16 सोमवार का व्रत रखा था। इसलिए ऐसा माना जाता है कि सोमवार के दिन शिव जी की पूजा करने और व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और मनचाहा लाभ मिलता है। वहीं एक अन्य कथा है अनुसार, चंद्र देव ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सोमवार को तप किया था, जिससे भगवान शिव प्रसन्न हुए थे और चंद्र देव को क्षय रोग से मुक्ति दिलाई थी।
हिंदू धर्म के शास्त्रों में अलग-अलग व्रत को करते समय साधक को अलग-अलग फलाहार करने के बारे में बताया गया है। ऐसे में अगर आप सोमवार का व्रत रख रहे हैं तो इस दिन फलाहार रहते हुए शाम के समय भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करें। इस दिन आप फल, दूध, दही, छाछ, साबूदाने की खीर, सिंघाड़े या कुट्टू के आटे से बनी चीजें आदि का सेवन कर सकते हैं।
अगर आप सोमवार का व्रत रखने जा रहे हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि व्रत करने वाले व्यक्ति को सूर्योदय से पहले उठना चाहिए। व्रत में पूरे दिन सोने से बचना चाहिए। सोमवार व्रत में शाम के समय भोजन करने का विधान है। इस दिन तामसिक चीजों का सेवन बिल्कुल भी न करें। साथ ही, पूरे दिन ब्रह्मचर्य नियम का पालन करें।
यदि आप सोमवार का व्रत रखना चाहते हैं तो सबसे पहले पवित्रता का विशेष ध्यान रखें। पूजा के दौरान अपने मन को बिल्कुल शांत रखें। इस दिन नमक का सेवन न करें और फलाहार रहें। साथ ही, सोमवार के दिन काले वस्त्र पहनकर भगवान शिव की पूजा न करें। इस दिन पूजा के दौरान सफेद वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। अगर आप 16 सोमवार का व्रत रखते हैं तो इसका उद्यापन विधि-विधान से ही करें। वहीं, यदि आप अपना व्रत आगे भी जारी रखना चाहते हैं तो अपनी कामना, संकल्प और शारीरिक क्षमता के अनुसार रख सकते हैं। बता दें कि ज्योतिष के अनुसार, भगवान शिव के सोमवार व्रत को पांच साल तक रखने का भी विधान है।
सोमवार के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करनी चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना करने से साधक की दुख और चिंताएं दूर होती हैं। इसके अलावा यह भी मान्यता है कि इस व्रत को करने से कुंडली में चंद्र ग्रह की स्थिति मजबूत होती है। ऐसा माना जाता है कि कुंवारी लड़कियां द्वारा इस व्रत को करने से उन्हें मनचाहा वर मिलता है और विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।
तुझसा दयालु नहीं प्यारे,
प्यारे प्यारे प्यारे ॥
थारे बिन मैया कुण म्हारो है,
थारे बिण मैया कुण म्हारो है,
थारी चाकरी करूंगो दिन रात,
बणाल्यो म्हाने चाकरियो,
लाल लंगोटो हाथ मे सोटो,
थारी जय जो पवन कुमार,