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आरती के बाद क्यों फेरते हैं हाथ ?

आरती के बाद क्यों फेरते हैं हाथ ?

भगवान की आरती के बाद क्यों फेरा जाता है हाथ, जानें महत्व


हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का एक अहम हिस्सा है आरती। लगभग हर घर में सुबह-शाम देवताओं की आरती की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आरती करने के पीछे क्या खास कारण है और आरती के दौरान हम हाथ क्यों फेरते हैं? आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं इसका महत्व क्या है?



आरती करने के बाद हाथ फेरने का महत्व


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि पूजा करने के बाद जब भगवान की आरती की जाती है, तो उस आरती रूपी अग्नि में भगवान का आशीर्वाद और तेज होता है। इसलिए जब भक्तों को आरती दी जाती है, तब वह अपने हाथों से आरती लेकर उसे अपने सिर और मुंह पर फेरते हैं। 


ऐसा करने से भक्तों पर भगवान की कृपा बनी रहती है और उससे तेज रूपी आरती की अग्नि जब भक्तों अपने हाथों से सिर पर फेरता है, तो इससे उसे सभी नकारात्मक ऊर्जा सा छुटकारा मिल जाता है और उसके जीवन में आ रही सभी परेशानियां दूर हो जाती है। साथ ही भक्तों को ऐसी अनुभूति होती है, मानों उनके सामने आ रही सभी बलाएं भगवान ने दूर कर दी हो और वह मानसिक शांति महसूस कर पाता है। 



भगवान को आरती दिखाने का सही नियम क्या है? 


  • हमेशा भगवान के चरणों से आरती की शुरुआत करनी चाहिए। यह दिखाता है कि हम भगवान के चरणों में नतमस्तक हैं।
  • भगवान के चरणों की आरती को चार बार घड़ी की सुई की दिशा में घुमाना चाहिए। यह हमें भगवान के आशीर्वाद से जोड़ता है।
  • भगवान की नाभि की आरती को दो बार घड़ी की सुई की दिशा में घुमाना चाहिए। यह हमें भगवान के अंदर की शक्ति से जोड़ता है।
  • अंत में, भगवान के मुख की आरती को सात बार घड़ी की सुई की दिशा में घुमाना चाहिए। यह हमें भगवान के ज्ञान और सत्य से जोड़ता है।



भगवान की आरती क्यों करते हैं?


आरती का अर्थ है भगवान को याद करना, उनके प्रति आदर का भाव दिखाना, ईश्वर का स्मरण करना है।  यह भक्तों को ईश्वर के प्रति पूरी तरह से समर्पित होने के भाव को प्रकट करने का अवसर प्रदान करता है। आरती में दीपक की ज्योति का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि दीपक की ज्योति अशुभ शक्तियों को नष्ट करती है और घर में सकारात्मक वातावरण बनाती है। आरती  भक्तों को ईश्वर से जोड़ती है। 



भगवान की आरती करने के दौरान ताली बजाने का महत्व


ताली बजाना भगवान के प्रति भक्ति और श्रद्धा प्रकट करना है। ऐसा माना जाता है कि ताली बजाने से सारे पाप नष्ट होते हैं और मन शांत होता है। ताली बजाने से भगवान का ध्यान भक्तों की तरफ जाता है और उनकी प्रार्थनाओं को सुनते हैं। ताली बजाने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं। ताली बजाने से रक्त संचार बेहतर होता है और शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। आरती के दौरान, भजन-कीर्तन के समय और पूजा के अन्य अवसरों पर ताली बजाना शुभ माना जाता है।


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