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प्रदोष व्रत पर शिव की पूजा

प्रदोष व्रत पर शिव की पूजा

Pradosh Vrat Puja Vidhi: चैत्र माह के प्रदोष व्रत पर ऐसे करें भगवान शिव की पूजा, इन उपायों से मिलेगा लाभ 


प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा को समर्पित है। इस दिन व्रत और पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं। प्रदोष व्रत प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। प्रत्येक माह में पड़ने वाले प्रदोष व्रत का नाम सप्ताह के दिन के अनुसार रखा जाता है। जैसे, यदि प्रदोष सोमवार को पड़ता है, तो उसे सोम प्रदोष के नाम से जाना जाता है।

पहला प्रदोष व्रत कब 


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चैत्र माह का पहला प्रदोष व्रत गुरुवार को रखा जाएगा, इसलिए इसका नाम गुरु प्रदोष है। यहां आप जानेंगे कि चैत्र माह का पहला प्रदोष व्रत किस दिन रखा जाएगा। साथ ही पूजा मुहूर्त और उसके नियमों के बारे में भी जानेंगे। पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 27 मार्च को दोपहर 1:43 बजे शुरू होगी। त्रयोदशी तिथि 27 मार्च को रात 11:03 बजे समाप्त होगी। प्रदोष पूजा का शुभ मुहूर्त 27 मार्च को शाम 6:51 बजे से रात 9:12 बजे तक रहेगा।

प्रदोष व्रत के लिए इन नियमों का पालन करें 


यदि आप महादेव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस दिन लाल रंग के कपड़ों को दान करें। इसके साथ ही प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को बेलपत्र, जल, फूल, भांग, धतूरा और अगरबत्ती भी चढ़ाएं।

इन मंत्रों का करें जाप 


प्रदोष पूजा के बाद शिव चालीसा और महादेव मंत्रों का जाप करें। फिर शिव आरती भी करें। प्रदोष व्रत के दिन अपने घर और मंदिर की सफाई पर विशेष ध्यान दें। प्रदोष व्रत के दिन काले कपड़े न पहनें। प्रदोष के दिन किसी का अपमान न करें और न ही किसी के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग करें।


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तू जब जब हमको बुलाये हम दौडे आये - भजन (Tu Jab Jab Humko Bulaye Hum Dode Aaye)

तेरे भवन के अजब नज़ारे,
तेरे गूँज रहे जयकारे,

तू मेरा राखा सबनी थाई - गुरुवाणी शब्द कीर्तन (Tu Mera Rakha Sabni Thai)

तू मेरा राखा, सबनी थाई
तां भौ के हा काढा जी,

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