अब वह समय नजदीक है, जब प्रयागराज के संगम तट पर बड़े-बड़े तंबू, नागा साधुओं की भीड़, चिलम सुलगाते बाबा और जटाएं लहराते संतों के संग सैकड़ों श्रद्धालु डुबकी लगाते दिखाई देंगे। यह दृश्य लगभग 13 जनवरी से देखने को मिलेगा, जब महाकुंभ मेला शुरू होगा। इस भव्य धार्मिक उत्सव में देश-विदेश से लोग संगम में स्नान करने के लिए पहुंचते हैं। महाकुंभ के अद्भुत धार्मिक उत्सव में संगम में स्नान करने का महत्व है, लेकिन अगर आप महाकुंभ में शामिल नहीं हो पा रहे हैं, तो कोई बात नहीं! घर बैठे भी आप महाकुंभ के पुण्य का लाभ उठा सकते हैं। चलिए आपको उन उपायों के बारे में बताते हैं, जिनके जरिए आप पुण्य कमा सकते हैं।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, यदि आप महाकुंभ में हिस्सा नहीं ले पा रहे हैं तो पवित्र नदियों में स्नान करें। यदि यह भी संभव न हो तो अपने घर के पास किसी स्वच्छ जलाशय में स्नान करें, ताकि आपको महाकुंभ स्नान का लाभ मिल सके।
अगर आप कुंभ में नहीं जा सकते, तो नहाने के पानी में गंगाजल जरूर डालें। यदि गंगाजल उपलब्ध न हो, तो यमुना या गोदावरी नदी का पानी भी प्रयोग कर सकते हैं। इससे स्नान का पुण्य प्राप्त होगा, जो महाकुंभ में स्नान करने के बराबर माना जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को चैत्र पूर्णिमा कहा जाता है। यह तिथि धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
वैशाखी न केवल सिख समुदाय के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह भारतीय नववर्ष और कृषि उत्सव के रूप में भी जाना जाता है। वैशाखी पर्व सामाजिक एकता और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक है।
भारत एक कृषि प्रधान देश है, और यहां के अधिकांश त्योहार फसलों और प्रकृति से जुड़े होते हैं। वैशाखी भी एक ऐसा ही महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा में धूमधाम से मनाया जाता है।
वैशाखी भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे विशेष रूप से पंजाब और उत्तर भारत में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।