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बद्रीनाथ धाम मंदिर, बद्रीनाथ, उत्तराखंड
बद्रीनाथ धाम मंदिर का महत्व:
इस मंदिर को कई नामों से जानते हैं, जैसे कि कोई इस मंदिर को श्री बद्रीनारायण के नाम से पुकारता हैं, तो कोई श्री बद्रीविशाल कहता हैं, परन्तु सर्वाधिक लोकप्रिय नाम श्री बदरीनाथ के नाम से जाना जाता हैं।
बद्रीनाथ धाम भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। बद्रीनाथ मंदिर उन 4 धामों में से एक है जो उत्तराखंड में है।
यह मन्दिर उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित बद्रीनाथ नाम का छोटा तथा प्राचीन नगर हैं, जो अलकनंदा नदी के तट पर बसा हुआ हैं और यही पर यह धाम स्थित हैं।
यही एक गर्म जल का कुण्ड भी हैं जहाँ पर श्रद्धलुओं द्वारा स्नान करके दर्शन करने की मान्यता हैं।
इस महान मन्दिर में विष्णु जी अपने एक रूप बद्रीनारायण अर्थात शालिग्राम की पिंडी के रूप में विराजमान हैं।
पुराणों की मान्यता के अनुसार यह वैकुण्ठधाम हैं, जहाँ श्री हरि विष्णु स्वयं विराजमान हैं। सच्चे मन से भक्त दर्शन करके अपने मनवांछित फल को प्राप्त करते हैं।
यह हिन्दू धर्म का अतिमहत्वपूर्ण तीर्थस्थल में शुमार हैं। यहाँ हिन्दू सनातन संस्कृति को मानने वाले लोग दर्शन भी करने आते हैं और पूर्वजों का पिण्डदान, श्राद्ध तथा तर्पण इत्यादि कर्मकांड करने भी आते हैं।
बद्रीनाथ धाम मंदिर की कथा:
बद्रीनाथ मंदिर का उल्लेख भागवत पुराण, महाभारत ग्रंथ, स्कंद पुराण, विष्णु पुराण और पद्म पुराण सहित कई पुराणों में किया गया है।
हिंदू धर्मग्रंथों में वर्णित एक पौराणिक कथा के अनुसार, जगद्गुरु श्री आदि शंकराचार्य ने अलकनंदा नदी के नारदकुंड में डुबकी लगाई, और सालिग्राम पत्थर से निर्मित भगवान विष्णु के एक काले-विग्रह की खोज की। प्रारंभ में शंकर ने भगवान बद्री नारायण विग्रह को तप्त-कुंड के पास एक गुफा में प्रतिष्ठित किया। बाद में, सोलहवीं शताब्दी में, गढ़वाल के राजा ने सभी हिंदू अनुष्ठानों और संस्कारों के साथ इस मूर्ति को बद्रीनाथ मंदिर में स्थापित किया।
एक अन्य किंवदंती के अनुसार, भगवान विष्णु अपने पर्यावरण के आसपास की चरम मौसम स्थितियों से अनजान होकर, इस स्थान पर गहरे ध्यान में बैठे थे। यह देखकर देवी लक्ष्मी ने अपनी पत्नी की रक्षा के लिए एक विशाल बद्री वृक्ष (बेर के पेड़) के रूप में अवतार लिया। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने इस स्थान का नाम 'बद्री विशाल' रखा। इसके बाद, देवी लक्ष्मी "बद्री विशाल" - बड़े बेर के पेड़, और भगवान विष्णु "बद्रीनाथ" - बद्री के पति के रूप में प्रसिद्ध हुईं।
एक लोक कथा के अनुसार, प्रारंभ में इस क्षेत्र पर भगवान शिव का आधिपत्य था, लेकिन भगवान विष्णु ने अपनी असीम बुद्धि से इस स्थान पर कब्जा कर लिया और यहां निवास करना शुरू कर दिया, जिससे भगवान शिव केदारनाथ चले गए। भगवान विष्णु की प्रधानता से यह क्षेत्र बद्रीनाथ के नाम से प्रसिद्ध हुआ; नारदमुनि उनके प्रधान उपासक हैं।
बद्रीनाथ बद्रीनारायण मंदिर मंदिर भगवान विष्णु के 108 दिव्य देशम मंदिरों में से एक है। स्कंद पुराण के अनुसार भगवान बद्रीनाथ की मूर्ति आदिगुरु शंकराचार्य ने नारद कुंड से प्राप्त की थी और 8वीं शताब्दी में इस मंदिर में पुनः स्थापित की गई थी। स्कंद पुराण में इस स्थान के बारे में और अधिक वर्णन किया गया है: “स्वर्ग में, पृथ्वी पर और नरक में कई पवित्र मंदिर हैं; लेकिन बद्रीनाथ जैसा कोई तीर्थ नहीं है।”
बद्रीनाथ धाम मंदिर में पूजा की विधि :
श्री बद्रीनाथ धाम मंदिर, उत्तराखंड, में पूजा की विधि बहुत ही सामान्य और समर्पित होती है। यहां पर अनुयायी लोग भगवान विष्णु की पूजा और आराधना करने आते हैं। मंदिर के दर्शन के लिए यात्री पहले ध्यान संग्रह करते हैं और फिर मंदिर के अंदर जाते हैं। यहां पर पूजा की विधि मुख्य रूप से निम्नलिखित कदमों पर आधारित होती है:
स्नान एवं वस्त्र धारण: पूजा के लिए यात्री श्री बद्रीनाथ जी के दर्शन के पहले स्नान करते हैं और फिर शुद्ध वस्त्र धारण करते हैं।
दर्शन एवं आरती: यात्री मंदिर के अंदर जाकर श्री बद्रीनाथ जी के दर्शन करते हैं और उनके सामने आरती देते हैं।
प्रदक्षिणा: दर्शन के बाद, यात्री मंदिर के प्रांगण में चक्कर लगाते हैं, जो कि प्रदक्षिणा कहलाता है।
पूजा एवं अर्चना: यात्री विशेष पूजा-अर्चना के लिए पंडितों के पास जाते हैं। वे पूजा अभिषेक के लिए ब्रह्मण को धन देते हैं और अपने प्रार्थनाओं को समर्पित करते हैं।
प्रसाद लेना: आरती और पूजा के बाद, यात्रीगण मंदिर के प्रसाद को लेने के लिए खड़े होते हैं। यह प्रसाद मंदिर की पवित्रता और आशीर्वाद का प्रतीक होता है।
श्री बद्रीनाथ धाम मंदिर में पूजा की यह विधि श्रद्धालुओं के द्वारा नियमित रूप से अपनाई जाती है और यह धार्मिक आदर्शों और संस्कृति को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
बद्रीनाथ धाम मंदिर, बद्रीनाथ, उत्तराखंड पहुँचने के लिए परिवहन सुविधाएं।
श्री बद्रीनाथ धाम मंदिर, उत्तराखंड, पहुंचने के लिए कई परिवहन सुविधाएं उपलब्ध हैं। यहां निम्नलिखित कुछ मुख्य परिवहन साधनों की सुविधाएं हैं:
हवाई यातायात: श्री बद्रीनाथ धाम के निकटतम हवाई पट्टी जोलीग्रांट है, जो जोलीग्रांट से केदारनाथ और देहरादून से संचारित होता है।
रेल: निकटतम रेलवे स्टेशन रिशिकेश और हरीद्वार में हैं, जो की उत्तराखंड के अन्य भागों से कनेक्ट किए जा सकते हैं।
सड़क: बद्रीनाथ धाम तक पहुंचने के लिए बस, टैक्सी, या खुद की गाड़ी ले सकते हैं। उत्तराखंड में गोवा, रिशिकेश, रुद्रप्रयाग, और जोलीग्रांट से बस सेवाएं उपलब्ध हैं।
इन सुविधाओं के माध्यम से श्री बद्रीनाथ धाम मंदिर तक पहुंचना संभव है और यात्रीगण इन साधनों का उपयोग कर सकते हैं।
बद्रीनाथ धाम मंदिर, बद्रीनाथ, उत्तराखंड के आस-पास कुछ होटल और गेस्ट हाउस की सूची निम्नलिखित है:
बद्रीनाथ मंदिर, उत्तराखंड में एक प्रमुख धार्मिक स्थल है और यहाँ पर यात्री अक्सर ठहरने के लिए बहुत सारे होटल और गेस्ट हाउस हैं। यहाँ कुछ अच्छे होटल और गेस्ट हाउस की सूची है:
बद्रीनाथ श्री यात्रिनिवास - यह होटल मंदिर के पास स्थित है और आरामदायक कमरों के साथ अच्छी सुविधाएं प्रदान करता है।
बद्रीनाथ धाम यात्रिक भवन - यह गेस्ट हाउस भी मंदिर के निकट स्थित है और यात्रियों को आरामदायक कमरों के साथ अच्छी सुविधाएं प्रदान करता है।
बद्री आश्रम - यह आरामदायक आश्रम है जो मंदिर से थोड़ी दूरी पर स्थित है और यात्रियों को शांति और स्थिरता का अनुभव कराता है।
बद्रीनाथ केदार ट्रेजेंडोर होटल - यह होटल मंदिर के निकट स्थित है और आरामदायक रहने के साथ-साथ अच्छी सेवाएं भी प्रदान करता है।
बद्रीनाथ देवलोक होटल - यह होटल भी मंदिर के पास है और यात्रियों को आरामदायक कमरों के साथ अच्छी सुविधाएं प्रदान करता है।
बद्रीनाथ लक्ष्मण पलेस - यह होटल मंदिर के निकट स्थित है और आरामदायक कमरों के साथ अच्छी सुविधाएं प्रदान करता है।
बद्रीनाथ सरोवर पोर्ट - यह गेस्ट हाउस भी मंदिर के पास है और यात्रियों को आरामदायक कमरों के साथ अच्छी सुविधाएं प्रदान करता है।
बद्रीनाथ रिट्रीट - यह होटल भी मंदिर के आस-पास स्थित है और यात्रियों को आरामदायक कमरों के साथ अच्छी सुविधाएं प्रदान करता है।
बद्रीनाथ हाउस - यह गेस्ट हाउस मंदिर के निकट स्थित है और यात्रियों को साफ़ और आरामदायक कमरों के साथ अच्छी सुविधाएं प्रदान करता है।
ये होटल और गेस्ट हाउस आपको अपनी यात्रा के दौरान आरामदायक कमरों के साथ अच्छी सुविधाएं प्रदान करता है। आप अपनी पसंद के अनुसार कोई भी चुन सकते हैं और यात्रा का आनंद उठा सकते हैं।
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।
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