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जय श्री राम, हंसराज रघुवंशी द्वारा (Jai Shree Ram By Hansraj Raghuwanshi)

जय श्री राम, हंसराज रघुवंशी द्वारा (Jai Shree Ram By Hansraj Raghuwanshi)

रघुपति राघव राजा राम

पतित पावन सीता राम

सीता राम, सीता राम

भज प्यारे तू सीता राम


राम सिया राम, सिया राम, सिया राम

जयराम सिया राम, सिया राम, सिया राम

राम सिया राम, सिया राम, सिया राम

जय राम सिया राम, सिया राम, सिया राम


अयोध्या, अयोध्या आये मेरे प्यारे राम

बोलो जय जय श्री राम

राम सिया राम, सिया राम, सिया राम

जय राम सिया राम, सिया राम, सिया राम


अयोध्या आये मेरे प्यारे राम

बोलो जय जय श्री राम

हो म्हारी आखों के तारे है प्रभु राम

बोलो जय जय श्री राम


राम सिया राम, सिया राम, सिया राम

जय राम सिया राम, सिया राम, सिया राम


युग राम राज का आ गया

शुभ दिन ये आज का आ गया

हुई जीत सनातन धर्म की

घर घर भगवा लहरा गया


जागा है अवध का भाग जी

गूंजा है विजय का राग जी

योगी संतो की अखियों से

छलकाये प्रेम अनुराग जी


सज धज के, सज धज के

ओ सज धज के लागे सबसे न्यारे राम

बोलो जय जय श्री राम

हो म्हारी आखों के तारे है प्रभु राम

बोलो जय जय श्री राम


राम सिया राम, सिया राम, सिया राम

जय राम सिया राम, सिया राम, सिया राम


रघुनन्द का राज तिलक है

राज सिंहासन राम का हक है

राम का होगा राज जगत में

प्रश्न ना कोई ना कोई शक है

राम के पथ में सबकी पलक है

जीत ये सबके लिए ही सबक है

जय श्री राम के नाम का नारा

देता सुनाई अम्बर तक है


किसी भी

किसी भी युग में ना हारे मेरे प्यारे राम

बोलो जय जय श्री राम

ओ म्हारी आँखों के तारे है प्रभु राम

बोलो जय जय श्री राम


सरयू के धारे नाच रहे

दोनों किनारे नाच रहे

दसों दिशाएँ झूम रही

यहाँ चाँद सितारे नाच रहे


नाच रहे मन भक्तों के यहाँ

साधु सारे नाच रहे

राम की धुन में होके मगन

सब राम दुलारे नाच रहे

नाच रहे पर्वत पे शंकर

देवी देवता नाच रहे


अयोध्या, अयोध्या आए मेरे प्यारे राम

बोलो जय जय श्री राम

ओ म्हारी आँखों के तारे है प्रभु राम

बोलो जय जय श्री राम


बाजे मंजीरे और मृदंग

हवा में उड़े केसरिया रंग

लौट आए है रघुवंशी

सिया लखन हनुमत के संग

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आरती में दीपक क्यों घुमाया जाता है?

सनातन हिंदू धर्म में अग्नि को बेहद ही शुद्ध माना गया है। यही कारण है कि पूजा के अंत में जलती हुई आरती या दीपक की लौ को आराध्य देव के सामने एक विशेष विधि से घुमाया जाता है।

कब और किसने शुरू किया कुंभ मेला?

कुंभ मेला भारतीय संस्कृति और आस्था का महापर्व है। जिसका इतिहास 850 वर्ष पुराना है। इसकी शुरुआत आदि शंकराचार्य द्वारा मानी जाती है, लेकिन इसकी कथा समुद्र मंथन की पौराणिक घटना से जुड़ी है।

कुंभ की तारीखें कैसे तय होती हैं?

सनातन धर्म में कुंभ मेला सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में एक माना जाता है। ये प्रयागराज समेत हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में आयोजित होता है।

कुंभ की पौराणिक कथाएं क्या हैं?

कुंभ मेला भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख धार्मिक आयोजन है, जो पौराणिक और ज्योतिषीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इसका आयोजन हर 12 साल में चार प्रमुख स्थलों हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में होता है।

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