भगत पुकारे आज मावड़ी(Bhagat Pukare Aaj Mawadi)

भादी मावस है आई,

भक्ता मिल ज्योत जगाई,

चंग मजीरा बाजे आंगणे,

ओ म्हारे चंग मजीरा बाजे आंगणे ॥


चम चम चमकातो मुखडो,

काना में कुंडल हो,

काना में कुंडल हो,

हिवड़ो हरसायो म्हारो,

भला पधारया हो,

भला पधारया हो,

बिंदिया चमके माथा में,

चुड़लो खनके हाथां में,

अमृत बरसे छे म्हारे आंगणे,

ओ दादी अमृत बरसे छे म्हारे आंगणे ॥


गंगा जल झारी थारा,

चरण पखारा हो,

चरण पखारा हो,

उँचे सिंहासन बैठी,

आरती उतारा हो,

आरती उतारा हो,

मेहंदी लगावा थारे,

चुनड़ी ओढावा थाने,

फुलड़ा बरसे छे म्हारे आंगणे,

ओ दादी फुलड़ा बरसे छे म्हारे आंगणे ॥


जो थाने भावे मैया,

भोग लगावा हो,

भोग लगावा हो,

रूच रूच जिमो दादी जी,

परदो लगावा हो,

परदो लगावा हो,

भजन सुनावा थाने,

गाकर रिझावा थाने,

कीर्तन में देखण थाने आंगणे,

ओ दादी कीर्तन में देखण थाने आंगणे ॥


भादी मावस है आई,

भक्ता मिल ज्योत जगाई,

चंग मजीरा बाजे आंगणे,

ओ म्हारे चंग मजीरा बाजे आंगणे ॥

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Matsya Jayanti 2025 (मत्स्य जयंती कब मनाई जाएगी)

मत्स्य जयंती भगवान विष्णु के पहले अवतार, “मत्स्यावतार” अर्थात् मछली अवतार की विशेष पूजा के रूप में मनाई जाती है।

कालाष्टमी कब मनाई जाएगी

सनातन धर्म में कालाष्टमी का विशेष महत्व है। इसे भगवान काल भैरव की उपासना का दिन माना जाता है। इस दिन व्रत रखने और विशेष पूजा करने से साधकों को शक्ति, सुरक्षा और समृद्धि प्राप्त होती है।

बिजनेस शुरू करने की पूजा विधि

हिंदू धर्म में किसी भी नए कार्य की शुरुआत से पहले पूजा करने की एक प्राचीन परंपरा रही है। विशेष रूप से व्यवसाय या दुकान की शुरुआत के समय पूजा करना अत्यधिक शुभ माना जाता है।

श्री भगवत गीता चालीसा (Shri Bhagwat Geeta Chalisa)

प्रथमहिं गुरुको शीश नवाऊँ | हरिचरणों में ध्यान लगाऊँ ||१||
गीत सुनाऊँ अद्भुत यार | धारण से हो बेड़ा पार ||२||

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