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भोले की किरपा, जिस पर भी रहती है (Bhole Ki Kripa Jis Par Bhi Rahti Hai)

भोले की किरपा, जिस पर भी रहती है (Bhole Ki Kripa Jis Par Bhi Rahti Hai)

भोले की किरपा,

जिस पर भी रहती है,

उसके घर में सुख की,

गंगा बहती है,

पूछ लो चाहे जाके,

इसके भक्तो से,

मैं नही कहता,

सारी दुनिया कहती है,

भोलें की किरपा,

जिस पर भी रहती है,

उसके घर में सुख की,

गंगा बहती है ॥


प्यार का सागर है ये,

करुणा की मूरत है,

साथ है बाबा तो फिर,

किसकी जरुरत है,

मूरत इसकी,

जिसके दिल में होती है,

उसके घर में सुख की,

गंगा बहती है,

भोलें की किरपा,

जिस पर भी रहती है,

उसके घर में सुख की,

गंगा बहती है ॥


बाबा के चरणो में,

तीरथ धाम है सारे,

है यही पे स्वर्ग,

आकर देख ले प्यारे,

जिसकी आँखे

इसके चरण को धोती है,

उसके घर में सुख की,

गंगा बहती है,

भोलें की किरपा,

जिस पर भी रहती है,

उसके घर में सुख की,

गंगा बहती है ॥


प्रेम से जिसने भी,

बाबा को पुकारा है,

भोले ने आकर,

दिया उसको सहारा है,

भोलेनाथ की माला,

का जो मोती है,

उसके घर में सुख की,

गंगा बहती है,

भोलें की किरपा,

जिस पर भी रहती है,

उसके घर में सुख की,

गंगा बहती है ॥


वो है बड़भागी जिसे,

बाबा ने अपनाया,

है मेरे सर पर भी,

उसके प्यार का साया,

‘सोनू’ जिसकी चिंता,

बाबा करते है,

उसके घर में सुख की,

गंगा बहती है,

भोलें की किरपा,

जिस पर भी रहती है,

उसके घर में सुख की,

गंगा बहती है ॥


भोले की किरपा,

जिस पर भी रहती है,

उसके घर में सुख की,

गंगा बहती है,

पूछ लो चाहे जाके,

इसके भक्तो से,

मैं नही कहता,

सारी दुनिया कहती है,

भोलें की किरपा,

जिस पर भी रहती है,

उसके घर में सुख की,

गंगा बहती है ॥

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मां बगलामुखी की कथा

देवी बगलामुखी 10 महाविद्याओं में से एक आठवीं महाविद्या हैं, जो पूर्ण जगत की निर्माता, नियंत्रक और संहारकर्ता हैं। उनकी पूजा करने से भक्तों को अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और जीवन की अनेकों बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

परशुराम द्वादशी तिथि और मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, परशुराम द्वादशी वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार, भगवान परशुराम को समर्पित हैI

परशुराम द्वादशी की कथा

परशुराम द्वादशी वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार, भगवान परशुराम की पूजा को समर्पित है। परशुराम द्वादशी विशेष रूप से संतान प्राप्ति के लिए मनाया जाता है।

संतान प्राप्ति के लिए करें परशुराम द्वादशी व्रत

परशुराम द्वादशी का पर्व भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी को समर्पित है, जो वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह व्रत विशेष रूप से संतान के प्राप्ति की कामना रखने वाले लोगों के लिए फलदायी होता हैं।

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