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गजानंद महाराज पधारो कीर्तन की तैयारी है(Gajanand Maharaj Padharo Kirtan Ki Taiyari Hai)

गजानंद महाराज पधारो कीर्तन की तैयारी है(Gajanand Maharaj Padharo Kirtan Ki Taiyari Hai)

प्रथम मनाये गणेश के, ध्याऊ शारदा मात,

मात पिता गुरु प्रभु चरण मे, नित्य नमाऊ माथ॥

गजानंद महाराज पधारो,

कीर्तन की तैयारी है,

आओ आओ बेगा आओ,

चाव दरस को भारी है॥


थे आवो ज़द काम बणेला,

था पर म्हारी बाजी है,

रणत भंवर गढ़ वाला सुणलो,

चिन्ता म्हाने लागि है,

देर करो मत ना तरसाओ,

चरणा अरज ये म्हारी है,

॥गजानन्द महाराज पधारो..॥


रीद्धी सिद्धी संग आओ विनायक,

देवों दरस थारा भगता ने,

भोग लगावा ढोक लगावा,

पुष्प चढ़ावा चरणा मे,

गजानंद थारा हाथा मे,

अब तो लाज हमारी है,

॥गजानन्द महाराज पधारो..॥


भगता की तो विनती सुनली,

शिव सूत प्यारो आयो है,

जय जयकार करो गणपति की,

म्हारो मन हर्शायो है,

बरसेंगा अब रस कीर्तन मे,

भगतौ महिमा भारी है,

॥गजानन्द महाराज पधारो..॥


गजानंद महाराज पधारो,

कीर्तन की तैयारी है,

आओ आओ बेगा आओ,

चाव दरस को भारी है॥


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बसंत पंचमी के दिन क्या करें, क्या नहीं

बसंत पंचमी का पर्व जो कि माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है सनातन धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है। यह त्योहार ज्ञान और बुद्धि की देवी मां सरस्वती की पूजा के लिए विशेष है जो कि वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक भी है।

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बसंत पंचमी का त्योहार जो कि हर साल माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। जो इस साल 2 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा। शिक्षा, बुद्धि और कला के क्षेत्र में उन्नति के लिए बेहद शुभ माना जाता है।

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बसंत पंचमी का पर्व ज्ञान, विद्या और समृद्धि का प्रतीक है। यह दिन पूरी तरह से माता सरस्वती को समर्पित है, और इस दिन उनकी पूजा का विधान है।

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ था। इसी कारण से हर वर्ष इस तिथि को वसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है।

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