गणपति आज पधारो,
श्री रामजी की धुन में ।
गणपति आज पधारो,
श्री रामजी की धुन में ।
रामजी की धुन में,
श्री रामजी की धुन में ।
मोदक भोग लगाओ,
श्री रामजी की धुन में ॥
गणपति आज पधारो,
श्री रामजी की धुन में ।
गणपति आज पधारो,
और रिद्धि सिद्धि लाओ ।
सुख आनंद बरसाओ,
श्री रामजी की धुन में ॥
गणपति आज पधारो,
श्री रामजी की धुन में ।
हनुमंत आज पधारो,
देवा पवन वेग से आओ ।
बल बुद्धि दे जाओ,
श्री रामजी की धुन में ॥
गणपति आज पधारो,
श्री रामजी की धुन में ।
ब्रम्हाजी पधारो,
माता ब्रम्हाणी को लाओ ।
वेद ज्ञान समझाओ,
श्री रामजी की धुन में ॥
गणपति आज पधारो,
श्री रामजी की धुन में ।
नारद आज पधारो,
छम छम, छम कर ताल बजाओ ।
नारायण गुण गाओ,
श्री रामजी की धुन में ॥
गणपति आज पधारो,
श्री रामजी की धुन में ।
प्रेम मगन हो जाओ भक्तो,
राम नाम गुण गाओ ।
सुर मंदिर में आओ,
श्री रामजी की धुन में ॥
गणपति आज पधारो,
श्री रामजी की धुन में ।
गणपति आज पधारो,
श्री रामजी की धुन में ।
युधिष्ठिर ने कहा-हे केशव ! श्रावण मास के शुक्लपक्ष की एकादशी का क्या नाम और क्या माहात्म्य है कृपया आर कहिये श्री कृष्णचन्द्र जी ने कहा-हे राजन् ! ध्यान पूर्वक इसकी भी कथा सुनो।
युधिष्ठिर ने कहा-हे जनार्दन ! आगे अब आप मुझसे भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम और माहात्म्य का वर्णन करिये।
इतनी कथा सुनकर पाण्डुनन्दन ने कहा- भगवन्! अब आप कृपा कर मुझे भाद्र शुक्ल एकादशी के माहात्म्य की कथा सुनाइये और यह भी बतलाइये कि इस एकादशी का देवता कौन है और इसकी पूजा की क्या विधि है?
महाराज युधिष्ठिर ने भगवान् कृष्ण से पुनः प्रश्न किया कि भगवन् ! अब आप कृपा कर आश्विन कृष्ण एकादशी का माहात्म्य सुनाइये।