जय जय सुरनायक जन सुखदायक (Jai Jai Surnayak Jan Sukhdayak Prantpal Bhagvant)

ब्रह्मादि देवताओं द्वारा भगवान विष्णु का आव्हान, जिसके बाद भगवान विष्णु ने प्रभु श्री राम के अवतार की घोषणा की। यह छंद तुलसीदास रचित रामचरित मानस के बालकाण्ड से ली गई स्तुति है।

छंद:

जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता ।

गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिधुंसुता प्रिय कंता ॥


पालन सुर धरनी अद्भुत करनी मरम न जानइ कोई ।

जो सहज कृपाला दीनदयाला करउ अनुग्रह सोई ॥


जय जय अबिनासी सब घट बासी ब्यापक परमानंदा ।

अबिगत गोतीतं चरित पुनीतं मायारहित मुकुंदा ॥


जेहि लागि बिरागी अति अनुरागी बिगतमोह मुनिबृंदा ।

निसि बासर ध्यावहिं गुन गन गावहिं जयति सच्चिदानंदा ॥


जेहिं सृष्टि उपाई त्रिबिध बनाई संग सहाय न दूजा ।

सो करउ अघारी चिंत हमारी जानिअ भगति न पूजा ॥


जो भव भय भंजन मुनि मन रंजन गंजन बिपति बरूथा ।

मन बच क्रम बानी छाड़ि सयानी सरन सकल सुर जूथा ॥


सारद श्रुति सेषा रिषय असेषा जा कहुँ कोउ नहि जाना ।

जेहि दीन पिआरे बेद पुकारे द्रवउ सो श्रीभगवाना ॥


भव बारिधि मंदर सब बिधि सुंदर गुनमंदिर सुखपुंजा ।

मुनि सिद्ध सकल सुर परम भयातुर नमत नाथ पद कंजा ॥


दोहा:

जानि सभय सुरभूमि सुनि बचन समेत सनेह ।

गगनगिरा गंभीर भइ हरनि सोक संदेह ॥

- तुलसीदास रचित, रामचरित मानस, बालकाण्ड-186

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हो लाल मेरी पत रखियो बला - दमादम मस्त कलन्दर (O Lal Meri Pat Rakhiyo Bala Duma Dum Mast Kalandar)

ओ हो, हो हो हो
हो लाल मेरी पत रखियो बला झूले लालण

मेरे भोले बाबा को अनाड़ी मत समझो (Mere Bhole Baba Ko Anadi Mat Samjho)

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अनाड़ी मत समझो, खिलाडी मत समझो,

मेरे भोले की सवारी आज आयी (Mere Bhole Ki Sawari Aaj ayi)

मेरे भोले की सवारी आज आयी,
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श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् (Durga Ashtottara Shatanama Stotram)

दुर्गाअष्टोत्तरशतनामस्तोत्र एक पवित्र हिंदू मंत्र या स्तोत्र है, जिसमें देवी दुर्गा के 108 नामों का वर्णन है। यह स्तोत्र दुर्गा सप्तशती के अंदर आता है और देवी दुर्गा की महिमा और शक्ति का वर्णन करता है।

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