जपा कर बैठ कर बन्दे,
राम का नाम प्यारा है,
राम का नाम प्यारा है,
प्रभु का नाम प्यारा है,
जपाकर बैठ कर बन्दे,
राम का नाम प्यारा है ॥
छुआई चरण रज अपनी,
अहिल्या भव से तारी थी,
पति के श्राप से भक्तो,
बनी पत्थर बेचारी थी,
चरण रज उसको दी अपनी,
हाँ कष्टों से उबारा है,
जपाकर बैठ कर बन्दे,
राम का नाम प्यारा है ॥
पिता के वचनो को माना,
प्रभु जी गंगा आए थे,
प्रभु के पग पखारे थे,
चरणामृत केवट पाए थे,
बिठाया नाव में अपनी,
हाँ गंगा पार उतारा है,
जपाकर बैठ कर बन्दे,
राम का नाम प्यारा है ॥
भगत शबरी की कुटिया में,
प्रभु भाई सहित आए,
बेर झूठे माँ शबरी के,
हाथ से प्रभु जी थे खाए,
माँ शबरी का किया कल्याण,
प्रभु जी बने सहारा है,
जपाकर बैठ कर बन्दे,
राम का नाम प्यारा है ॥
राम के नाम का चन्दन,
श्री हनुमत ने लगाया है,
प्रभु जी ह्रदय लगाए थे,
भरत के सम बताया है,
चिर के सीना दिखलाया,
सभी ने दर्श पाया है,
जपाकर बैठ कर बन्दे,
राम का नाम प्यारा है ॥
जपा कर बैठ कर बन्दे,
राम का नाम प्यारा है,
राम का नाम प्यारा है,
प्रभु का नाम प्यारा है,
जपाकर बैठ कर बन्दे,
राम का नाम प्यारा है ॥
प्रयागराज में 12 वर्षों के अंतराल के बाद आयोजित महाकुंभ में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पवित्र स्नान के लिए उमड़े हैं। यह महान धार्मिक आयोजन, जो हजारों वर्षों से भारतीय संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक रहा है, विश्व का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण समागम माना जाता है।
प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन शुरू हो चुका है। यह दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम है, जहां देश ही नहीं, बल्कि दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।
पौष पूर्णिमा के पावन अवसर पर, प्रयागराज में 144 वर्षों बाद महाकुंभ का शुभारंभ हो चुका है। इस दिव्य और ऐतिहासिक आयोजन में लाखों श्रद्धालु भाग लेने पहुंचे हैं। अगर आप किसी कारणवश प्रयागराज नहीं जा पाए हैं, तो निराश न हों।
महिला नागा साधुओं का अपना अलग संसार है, जो माई बाड़ा के नाम से जाना जाता है। ये साध्वीएं पुरुष नागा साधुओं की तरह ही ईश्वर को समर्पित जीवन जीती हैं, लेकिन उनकी आध्यात्मिक यात्रा एक अलग रंग में रंगी होती है।