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जिसको नही है बोध, तो गुरु ज्ञान क्या करे (Jisko Nahi Hai Bodh Guru Gyan Kya Kare)

जिसको नही है बोध, तो गुरु ज्ञान क्या करे (Jisko Nahi Hai Bodh Guru Gyan Kya Kare)

॥ दोहा ॥

अर्घ कपाले झूलता,

सो दिन करले याद ।

जठरा सेती राखिया,

नाहि पुरुष कर बाद ॥


॥ तो गुरु ज्ञान क्या करे ॥

जिसको नही है बोध,

तो गुरु ज्ञान क्या करे ।

निज रूप को जाना नहीं,

तो पुराण क्या करे ।


घट घट में ब्रह्मज्योत का,

प्रकाश हो रहा ।

मिटा न द्वैतभाव तो,

फिर ध्यान क्या करे ।


जिसको नही है बोध,

तो गुरु ज्ञान क्या करे ।

निज रूप को जाना नहीं,

तो पुराण क्या करे ।


रचना प्रभू की देख के,

ज्ञानी बड़े बड़े ।

पावे ना कोई पार तो,

नादान क्या करे ।


जिसको नही है बोध,

तो गुरु ज्ञान क्या करे ।

निज रूप को जाना नहीं,

तो पुराण क्या करे ।


करके दया दयाल ने,

मानुष जन्म दिया ।

बंदा न करे भजन तो,

भगवान क्या करे ।


जिसको नही है बोध,

तो गुरु ज्ञान क्या करे ।

निज रूप को जाना नहीं,

तो पुराण क्या करे ।


सब जीव जंतुओं में ,

जिसे है नहीं दया ।

‘ब्रह्मानंद’ व्रत नेम,

पुण्य दान क्या करे ।


जिसको नही है बोध,

तो गुरु ज्ञान क्या करे ।

निज रूप को जाना नहीं,

तो पुराण क्या करे ।


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कालाष्टमी पूजा विधि

सनातन हिन्दू धर्म में कालाष्टमी का काफी महत्व होता है। कालाष्टमी भगवान काल भैरव को समर्पित होता है। इस दिन काल भैरव के पूजन से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। ये पर्व हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।

जनवरी में कब है संकष्टी चतुर्थी

सनातन हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी का व्रत अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। बता दें कि साल की पहली संकष्टी चतुर्थी लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जानी जाती है। यह व्रत मुख्य रूप से भगवान गणेश जी और सकट माता की पूजा-अर्चना के लिए प्रसिद्ध है।

कालाष्टमी की पौराणिक कथा

सनातन हिंदू धर्म में, कालाष्टमी का पर्व शक्ति, साहस, भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव के भैरव स्वरूप की उपासना करने से जातक के जीवन के सभी कष्ट खत्म हो जाते हैं।

श्रीकृष्ण के 108 नामों की जाप

प्रत्येक माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व पूरे विधि विधान से मनाया जाता है। इस दिन श्री कृष्ण की पूजा-अर्चना की जाती है।

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