कब तुम कृपा करोगी श्री राधा रानी,
कब तुम कृपा करोगी मेरी लाड़ो प्यारी,
कब तुम कृपा करोगी श्री श्यामा प्यारी,
कब तुम कृपा करोगी ॥
मेरो मन नित चलत कुमारग,
मेरो मन नित चलत कुमारग,
कब दुख दाह हरोगी श्री राधा रानी,
कब तुम कृपा करोगी मेरी लाड़ो प्यारी,
कब तुम कृपा करोगी श्री श्यामा प्यारी,
कब तुम कृपा करोगी ॥
अति दुर्गम भव जाल बंध्यो मैं,
अति दुर्गम भव जाल बंध्यो मैं,
निज शरणही कब लोगी श्री राधा रानी,
कब तुम कृपा करोगी मेरी लाड़ो प्यारी,
कब तुम कृपा करोगी श्री श्यामा प्यारी,
कब तुम कृपा करोगी ॥
वृन्दावन की आस रावरी,
दर्शन कब तुम दोगी श्री राधा रानी,
कब तुम कृपा करोगी मेरी लाड़ो प्यारी,
कब तुम कृपा करोगी श्री श्यामा प्यारी,
कब तुम कृपा करोगी ॥
कब तुम कृपा करोगी श्री राधा रानी,
कब तुम कृपा करोगी मेरी लाड़ो प्यारी,
कब तुम कृपा करोगी श्री श्यामा प्यारी,
कब तुम कृपा करोगी ॥
प्रयागराज में कुंभ की शुरुआत होने में एक महीने से भी कम समय रह गया है। साधु-संतों के अखाड़े प्रयागराज पहुंच चुके हैं। वहीं लोग बड़ी संख्या में संगम पर स्नान करने आने वाले हैं। लेकिन इसके साथ ऐसे भी कुछ श्रद्धालु होंगे, जो कल्पवास के लिए प्रयाग पहुंचेंगे।
कल्पवास की परंपरा हिंदू संस्कृति का अहम हिस्सा है। इस पंरपरा के मुताबिक व्यक्ति को एक महीने तक गंगा किनारे रहकर अनुशासित जीवनशैली का पालन करना होता है। यह एक तरह का कठिन तप माना गया है।
कुंभ मेले की शुरुआत 13 जनवरी से प्रयागराज में होने जा रही है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु स्नान करने के लिए पहुंचने वाले हैं। इस आयोजन का मुख्य आकर्षण कल्पवास होगा। यह एक धार्मिक अनुष्ठान है, जो माघ मास में किया जाता है।
सनातन धर्म में रंगों को हमेशा से पवित्र माना गया है। रंगोली, न सिर्फ हमारे घरों को सजाती है बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी हमारे मन को शांत और खुशहाल बनाती है।