Logo

महाकाल की नगरी मेरे मन को भा गई (Mahakal Ki Nagri Mere Maan Ko Bha Gayi)

महाकाल की नगरी मेरे मन को भा गई (Mahakal Ki Nagri Mere Maan Ko Bha Gayi)

मेरे भोले की सवारी आज आयी,

मेरे शंकर की सवारी आज आयी,

जोगन बन नाचूंगी मैं भी,

जोगन बन नाचूंगी ॥


गले में उसके सर्पो की माला,

शम्भू पीते विष का प्याला,

सुन्दर रूप है उसका निराला,

बाबा मेरा भोला भाला,

तेरा नाम जपे दुनिया सारी,

जोगन बन नाचूंगी मैं भी,

जोगन बन नाचूंगी ॥


जटा गंग भंग पि के आए,

गौरा मैया के मन हर्षाये,

अक धतूरा जो भोग लगाए,

उसकी नैया पार लगाए,

भोला कहलाता है विषधारी,

जोगन बन नाचूंगी मैं भी,

जोगन बन नाचूंगी ॥


अंग पे अपने भस्म रमाए,

डम डम डम डम डमरू बजाए,

औघड़दानी रूप धरा है,

‘ब्रजवासी’ तेरी महिमा गाए,

शिव नाम के है सारे पुजारी,

जोगन बन नाचूंगी मैं भी,

जोगन बन नाचूंगी ॥


मेरे भोले की सवारी आज आयी,

मेरे शंकर की सवारी आज आयी,

जोगन बन नाचूंगी मैं भी,

जोगन बन नाचूंगी ॥

........................................................................................................
यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeBook PoojaBook PoojaTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang