माई सबके बाल गोपाल,
सदा खुशहाल रहे,
खुशहाल रहे मालामाल रहे,
माईं सबके बाल गोपाल,
सदा खुशहाल रहे ॥
हंसते रहे नैनो के तारे,
हंसते रहे नैनो के तारे,
पलना में खेले लाल,
सदा खुशहाल रहे,
माईं सबके बाल गोपाल,
सदा खुशहाल रहे ॥
बहन लगाये दूज का टीका,
बहन लगाये दूज का टीका,
राखी बांधे हर साल,
सदा खुशहाल रहे,
माईं सबके बाल गोपाल,
सदा खुशहाल रहे ॥
रहे अमर गोदी के खिलौना,
रहे अमर गोदी के खिलौना,
पास ना आवे काल,
सदा खुशहाल रहे,
माईं सबके बाल गोपाल,
सदा खुशहाल रहे ॥
जुड़े लक्ष्मी इनके अंगना,
जुड़े लक्ष्मी इनके अंगना,
सदा रहे माला माल,
सदा खुशहाल रहे,
माईं सबके बाल गोपाल,
सदा खुशहाल रहे ॥
माई सबके बाल गोपाल,
सदा खुशहाल रहे,
खुशहाल रहे मालामाल रहे,
माईं सबके बाल गोपाल,
सदा खुशहाल रहे ॥
फूलो से अंगना सजाउंगी
जब मैया मेरे घर आएंगी।
हर वर्ष मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा को माता त्रिपुर भैरवी के जन्मदिवस को त्रिपुर भैरवी जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक अवसर है जो शक्ति और पराक्रम की प्रतीक माता त्रिपुर भैरवी की महिमा को दर्शाता है।
भगवान दत्तात्रेय को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का ही अंश माना जाता है। माता अनुसूया की कठिन साधना के फलस्वरूप ये तीनों देव ही भगवान दत्तात्रेय के रूप में अवतरित हुए थे।
मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा के दिन भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन तीनों देवों के अंश माने जाने वाले भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था। भगवान दत्तात्रेय को गुरु और भगवान दोनों की उपाधि दी गई है।