मैं राधा वल्लभ की, राधा वल्लभ मेरे (Main Radha Vallabh Ki, Radha Vallabh Mere)

मैं राधा वल्लभ की, राधा वल्लभ मेरे

मैं राधा वल्लभ की, राधा वल्लभ मेरे

मैं राधा वल्लभ की, राधा वल्लभ मेरे


तुम सदा सदा से मेरे, राधा वल्लभ मेरे

तुम सदा सदा से मेरे

मैं राधा वल्लभ की, राधा वल्लभ मेरे


हम सदा सदा से तेरे राधा वल्लभ मेरे

हम सदा सदा से तेरे राधा वल्लभ मेरे

हम सदा सदा से तेरे राधा वल्लभ मेरे


हम भटक चुके बहुतेरे राधा वल्लभ मेरे

हम दुख पाए बहुतेरे

मैं राधा वल्लभ की, राधा वल्लभ मेरे


अब रखिए अपने नेरे, राधा वल्लभ मेरे

हम सदा सदा से तेरे

मैं राधा वल्लभ की, राधा वल्लभ मेरे

मैं राधा वल्लभ की, राधा वल्लभ मेरे


जय जय राधावल्लभ श्री हरिवंश जय जय श्री वृन्दावन श्री वनचंद

जय जय राधावल्लभ श्री हरिवंश जय जय श्री वृन्दावन श्री वनचंद


जय जय राधावल्लभ श्री हरिवंश जय जय श्री वृन्दावन श्री वनचंद

जय जय राधावल्लभ श्री हरिवंश जय जय श्री वृन्दावन श्री वनचंद


मैं राधा वल्लभ की, राधा वल्लभ मेरे

मैं राधा वल्लभ की, राधा वल्लभ मेरे

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काहे इतनी देर लगाई, आजा रे हनुमान आजा (Kahe Itni Der Lagai Aaja Re Hanuman Aaja)

काहे इतनी देर लगाई,
आजा रे हनुमान आजा,

विवाह पंचमी क्यों मनाई जाती है

मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी मनाई जाती है जो भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह की स्मृति में मनाया जाने वाला पवित्र पर्व है। सनातन धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व है।

ब्रह्मन्! स्वराष्ट्र में हों, द्विज ब्रह्म तेजधारी (Brahman Swarastra Mein Hon)

वैदिक काल से राष्ट्र या देश के लिए गाई जाने वाली राष्ट्रोत्थान प्रार्थना है। इस काव्य को वैदिक राष्ट्रगान भी कहा जा सकता है। आज भी यह प्रार्थना भारत के विभिन्न गुरुकुलों व स्कूल मे गाई जाती है।

कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं (Kabhi Pyase Ko Pani Pilaya Nahi)

कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं, ,br> बाद अमृत पिलाने से क्या फायदा,

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