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मैं राधा वल्लभ की, राधा वल्लभ मेरे (Main Radha Vallabh Ki, Radha Vallabh Mere)

मैं राधा वल्लभ की, राधा वल्लभ मेरे (Main Radha Vallabh Ki, Radha Vallabh Mere)

मैं राधा वल्लभ की, राधा वल्लभ मेरे

मैं राधा वल्लभ की, राधा वल्लभ मेरे

मैं राधा वल्लभ की, राधा वल्लभ मेरे


तुम सदा सदा से मेरे, राधा वल्लभ मेरे

तुम सदा सदा से मेरे

मैं राधा वल्लभ की, राधा वल्लभ मेरे


हम सदा सदा से तेरे राधा वल्लभ मेरे

हम सदा सदा से तेरे राधा वल्लभ मेरे

हम सदा सदा से तेरे राधा वल्लभ मेरे


हम भटक चुके बहुतेरे राधा वल्लभ मेरे

हम दुख पाए बहुतेरे

मैं राधा वल्लभ की, राधा वल्लभ मेरे


अब रखिए अपने नेरे, राधा वल्लभ मेरे

हम सदा सदा से तेरे

मैं राधा वल्लभ की, राधा वल्लभ मेरे

मैं राधा वल्लभ की, राधा वल्लभ मेरे


जय जय राधावल्लभ श्री हरिवंश जय जय श्री वृन्दावन श्री वनचंद

जय जय राधावल्लभ श्री हरिवंश जय जय श्री वृन्दावन श्री वनचंद


जय जय राधावल्लभ श्री हरिवंश जय जय श्री वृन्दावन श्री वनचंद

जय जय राधावल्लभ श्री हरिवंश जय जय श्री वृन्दावन श्री वनचंद


मैं राधा वल्लभ की, राधा वल्लभ मेरे

मैं राधा वल्लभ की, राधा वल्लभ मेरे

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बाल्यावस्था में मृत्यु होने पर भी आवश्यक है श्राद्ध कर्म

पितृपक्ष, जिसे श्राद्ध पक्ष और महालय के नाम से भी जाना जाता है, वह विशेष समय होता है जब हम अपने पूर्वजों और पितरों का तर्पण और पिंडदान करते हैं।

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जानें कौन सी तिथि पर श्राद्ध करने से मिलेगी आपके पूर्वजों की आत्मा को शांति

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बिहार के गया जिले में इस वर्ष के आज से शुरू हो रहे पितृपक्ष मेले को लेकर विशेष तैयारियां पूर्ण की जा चुकी है।

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गया में पितृपक्ष मेला एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है, जिसमें देश-विदेश से लाखों तीर्थ यात्रा अपने पूर्वजों का पिंडदान करने के लिए आते हैं

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