मैं सहारे तेरे,
श्याम प्यारे मेरे,
मेरी चिंता मिटा दे तू,
है जहाँ तेरा दर,
एक छोटा सा घर,
वही मेरा बना दे तू,
मै सहारे तेरे,
श्याम प्यारे मेरे ॥
तू सहारा है हारे का बाबा,
देख सब कुछ मैं हारा हुआ हूँ,
मेरे जख्मों पे मरहम लगा दे,
मैं मुकद्दरका मारा हुआ हूँ,
मेरा बैरी जहान और जाऊं कहाँ,
श्याम इतना बता दे तू,
मै सहारे तेरे,
श्याम प्यारे मेरे ॥
शीश चौखट पे तेरी रखा है,
दे दे आशीष ओ शीश दानी,
मेरे आंसू बयाँ कर रहे है,
मेरे हर एक गम की कहानी,
सबको बांटे ख़ुशी,
मेरे होंठो को भी,
मुस्कुराना सिखा दे तू,
मै सहारे तेरे,
श्याम प्यारे मेरे ॥
थाम लेगा तू हाथ मेरा,
जीत जाऊंगा मैं खाटू वाले,
अब तो मेरे भरोसे की नैया,
है मेरे श्याम तेरे हवाले,
दे गए सब दगा,
देर अब ना लगा,
कुछ करिश्मा दिखा दे तू,
मै सहारे तेरे,
श्याम प्यारे मेरे ॥
मैं सहारे तेरे,
श्याम प्यारे मेरे,
मेरी चिंता मिटा दे तू,
है जहाँ तेरा दर,
एक छोटा सा घर,
वही मेरा बना दे तू,
मै सहारे तेरे,
श्याम प्यारे मेरे ॥
हिंदू धर्म की समृद्ध परंपरा में "सोलह संस्कार" का महत्वपूर्ण स्थान है, जो जीवन के हर महत्वपूर्ण पड़ाव को दिशा देते हैं। इन संस्कारों में से एक है अन्नप्राशन, जब बच्चा पहली बार ठोस आहार का स्वाद लेता है।
नया व्यवसाय शुरू करना एक महत्वपूर्ण निर्णय है, जिसमें कई चीजें शामिल होती हैं - रणनीति, कड़ी मेहनत, नवाचार और सबसे महत्वपूर्ण शुभ मुहूर्त। सही समय चुनना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना कि आपके व्यवसाय की रणनीति और योजना।
नई दुकान खोलना एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे आपके भविष्य की सफलता और समृद्धि की नींव रखी जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, किसी भी नए उद्यम की शुरुआत करने से पहले शुभ मुहूर्त और तिथि का चयन करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
एक बच्चे की शिक्षा यात्रा की शुरुआत एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होता है जो उसके भविष्य को आकार देता है। यह संस्कार भारतीय परंपरा में विशेष महत्व रखता है, जहां ज्योतिष के अनुसार ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति और शुभ योगों का ध्यान रखा जाता हैI