मुझे दास बनाकर रख लेना भोलेनाथ तुम अपने चरणों में,
मुझे दास बनाकर रख लेना भोलेनाथ तुम अपने चरणों में,
भोलेनाथ तुम अपने चरणों में भोलेनाथ तुम अपने चरणों में,
मुझें दास बनाकर रख लेना भोलेनाथ तुम अपने चरणों में ॥
मैं भला बुरा हूँ तेरा हूँ मैं भला बुरा हूँ तेरा हूँ,
तेरे द्वार पे डाला डेरा हूँ तेरे द्वार पे डाला डेरा हूँ,
मुझे चाकर जान के रख लेना भोलेनाथ तुम अपने चरणों में,
मुझें दास बनाकर रख लेना भोलेनाथ तुम अपने चरणों में ॥
जब अधम से अधम को तारा है,
जब अधम से अधम को तारा है,
उसमे ही नाम हमारा है उसमे ही नाम हमारा है,
मुझे भार समझ कर रख लेना भोलेनाथ तुम अपने चरणों में,
मुझें दास बनाकर रख लेना भोलेनाथ तुम अपने चरणों में ॥
हिंदू धर्म में देव दिवाली का पर्व विशेष धार्मिक महत्व है। इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं। मान्यता है कि भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही किया था। तब देवताओं ने प्रसन्न होकर दिवाली मनाई।
कार्तिक माह की पूर्णिमा को देव दिवाली के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन गंगा, यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है। इस वर्ष ये पर्व 15 नवंबर को मनाया जाएगा जो सुबह 6:20 बजे से शुरू होकर मध्यरात्रि 2:59 बजे समाप्त होगा।
हिंदू धर्म के अनुसार सप्ताह के सात दिन अलग-अलग देवी-देवताओं को समर्पित है। इन मान्यताओं के अनुसार हम प्रत्येक दिन किसी-न-किसी देवी-देवता की पूजा आराधना करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयत्न करते हैं।
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