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पकड़ लो बाँह रघुराई, नहीं तो डूब जाएँगे - भजन (Pakadlo Bah Raghurai, Nahi Too Doob Jayenge)

पकड़ लो बाँह रघुराई, नहीं तो डूब जाएँगे - भजन (Pakadlo Bah Raghurai, Nahi Too Doob Jayenge)

पकड़ लो बाँह रघुराई,

नहीं तो डूब जाएँगे ।


डगर ये अगम अनजानी,

पथिक मै मूड अज्ञानी ।

संभालोगे नही राघव,

तो कांटे चुभ जाएँगे ।

पकड़ लो बाँह रघुराई,

नहीं तो डूब जाएँगे ।


नहीं बोहित मेरा नौका,

नहीं तैराक मै पक्का ।

कृपा का सेतु बंधन हो,

प्रभु हम खूब आएँगे ।

पकड़ लो बाँह रघुराई,

नहीं तो डूब जाएँगे ।


नहीं है बुधि विधा बल,

माया में डूबी मती चंचल ।

निहारेंगे मेरे अवगुण तो,

प्रभु जी ऊब जाएँगे ।

पकड़ लो बाँह रघुराई,

नहीं तो डूब जाएँगे ।


प्रतीक्षारत है ये आँगन,

शरण ले लो सिया साजन ।

शिकारी चल जिधर प्रहलाद,

जी भूल जाएँगे ।

पकड़ लो बाँह रघुराई,

नहीं तो डूब जाएँगे ।

नहीं तो डूब जाएँगे,

नहीं तो डूब जाएँगे ।

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घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र (Ghrishneshwar Jyotirlinga, Maharashtra)

विश्व प्रसिद्ध द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से तीन पावन ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में अलग-अलग स्थानों पर विराजित है। लेकिन यहां एक ज्योतिर्लिंग ऐसा है जिसके बारे में तीर्थयात्रियों का मानना है की यहां की यात्रा करने से सभी 12 ज्योतिर्लिंगों की पूजा करने का लाभ मिलता है।

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रामेश्वर धाम (Rameshwar Dham)

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