सपने में सखी देख्यो नन्दगोपाल,
सावली सूरतिया हाथो मे बाँसुरिया,
और घुँघराले बाल,
सपने मे सखी देख्यो नन्दगोपाल ॥
व्रंदावन री कुंज गलियन मे,
भागतो दौड़तो देख्यो,
देख्यो री सखी भागतो दौड़तो देख्यो,
जंगल बिच मे गाय चरावतो,
बाध्यो कालो शाल,
सपने मे सखी देख्यो नन्दगोपाल ॥
सपने में सखी देख्यो नन्दगोपाल,
सावली सूरतिया हाथो मे बाँसुरिया,
और घुँघराले बाल,
सपने मे सखी देख्यो नन्दगोपाल ॥
लुकतो-छुपतो पनघट ऊपर,
सबकी मटकिया फोड़े,
फोड़े रे सखी सबकी मटकिया फोड़े,
घ- घर जावतो माखन चुरावतो,
प्यारो यशोदा रो लाल,
सपने मे सखी देख्यो नन्दगोपाल ॥
सपने में सखी देख्यो नन्दगोपाल,
सावली सूरतिया हाथो मे बाँसुरिया,
और घुँघराले बाल,
सपने मे सखी देख्यो नन्दगोपाल ॥
म्हारे सागे नटखट कन्हैया,
लुक मिचणी खेले सखी री,
वो तो लुक मिचणी खेले,
जद मने पकडयो कृष्ण कन्हाई,
मै तो हो गई न्याल,
सपने मे सखी देख्यो नन्दगोपाल ॥
सपने में सखी देख्यो नन्दगोपाल,
सावली सूरतिया हाथो मे बाँसुरिया,
और घुँघराले बाल,
सपने मे सखी देख्यो नन्दगोपाल ॥
सनातन हिंदू धर्म में एकादशी काफ़ी महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह दिन पूरी तरह से श्री हरि की पूजा को समर्पित है। इस शुभ दिन पर भक्त भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और उनके लिए उपवास करते हैं।
पौष माह की कृष्ण पक्ष की सफला एकादशी का व्रत विशेष माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करने और व्रत रखने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
सनातन धर्म में कलावा बांधने का काफ़ी महत्व है। इसे रक्षा सूत्र के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, हाथ पर कलावा बांधने की शुरुआत माता लक्ष्मी से जुड़ी हुई है।
सनातन धर्म के लोगों की भगवान कृष्ण से खास आस्था जुड़ी है। कृष्ण जी को भगवान विष्णु का ही एक अवतार माना जाता है, जो धैर्य, करुणा और प्रेम के प्रतीक हैं।