हर भक्तों के दिल से निकले,
एक यही आवाज़,
ये बाबा बहुत बड़ा है,
ये बाबा बहुत बड़ा हैं ॥
बाबा की शक्ति ने देखों,
कैसा खेल रचाया,
बाबा की मस्ती ने हर एक,
दिल को दीवाना बनाया,
ब्रह्मा के वेदों से निकलें,
एक यही आवाज़,
ये बाबा बहुत बड़ा हैं,
ये बाबा बहुत बड़ा हैं ॥
ये सरकार अगर चाहे तो,
कुछ भी करके दिखा दे,
उठा सड़क से एक भिखारी,
राजा उसे बना दे,
नारद की वीणा से निकले,
एक यही आवाज़,
ये बाबा बहुत बड़ा हैं,
ये बाबा बहुत बड़ा हैं ॥
इंसा चाहे कुछ भी करले,
इनसे छुपा नहीं है,
‘बनवारी’ गर ये ना चाहे,
कुछ भी हुआ नहीं है,
शंकर के डमरू से निकले,
एक यही आवाज़,
ये बाबा बहुत बड़ा हैं,
ये बाबा बहुत बड़ा हैं ॥
हर भक्तों के दिल से निकले,
एक यही आवाज़,
ये बाबा बहुत बड़ा है,
ये बाबा बहुत बड़ा हैं ॥
आ जाओ सरकार,
दिल ने पुकारा है,
करवा चौथ की सबसे प्रसिद्ध कहानी के अनुसार देवी करवा अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के पास रहा करती थीं। एक दिन करवा के पति नदी में स्नान करने गए तो एक मगरमच्छ ने उनका पैर पकड़ लिया और उन्हें जल में खिंचने लगा
करवा चौथ के एक अन्य कथा के अनुसार एक समय में किसी नगर में एक साहूकार अपनी पत्नी 7 पुत्रों, 7 पुत्रवधुओं तथा एक पुत्री के साथ निवास करता था।
एक समय महाराज युधिष्ठिर ने कहा- “हे जनार्दन मुझपर कृपा करके बताइये कि कार्तिक कृष्ण पक्ष में कौन सी एकादशी होती है? भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा “हे राजन् ! कार्तिक मास के कृष्णपक्ष में जो परम कल्याणमयी एकादशी होती है वह 'रमा' के नाम से जानी जाती है।