हर भक्तों के दिल से निकले,
एक यही आवाज़,
ये बाबा बहुत बड़ा है,
ये बाबा बहुत बड़ा हैं ॥
बाबा की शक्ति ने देखों,
कैसा खेल रचाया,
बाबा की मस्ती ने हर एक,
दिल को दीवाना बनाया,
ब्रह्मा के वेदों से निकलें,
एक यही आवाज़,
ये बाबा बहुत बड़ा हैं,
ये बाबा बहुत बड़ा हैं ॥
ये सरकार अगर चाहे तो,
कुछ भी करके दिखा दे,
उठा सड़क से एक भिखारी,
राजा उसे बना दे,
नारद की वीणा से निकले,
एक यही आवाज़,
ये बाबा बहुत बड़ा हैं,
ये बाबा बहुत बड़ा हैं ॥
इंसा चाहे कुछ भी करले,
इनसे छुपा नहीं है,
‘बनवारी’ गर ये ना चाहे,
कुछ भी हुआ नहीं है,
शंकर के डमरू से निकले,
एक यही आवाज़,
ये बाबा बहुत बड़ा हैं,
ये बाबा बहुत बड़ा हैं ॥
हर भक्तों के दिल से निकले,
एक यही आवाज़,
ये बाबा बहुत बड़ा है,
ये बाबा बहुत बड़ा हैं ॥
गरुड़ वाहिनी वैष्णवी, त्रिकुटा पर्वत धाम
काली, लक्ष्मी, सरस्वती, शक्ति तुम्हें प्रणाम।
श्री राधे वुषभानुजा, भक्तनि प्राणाधार ।
वृन्दाविपिन विहारिणी, प्रानावौ बारम्बार ॥
जय जय सीताराम के मध्यवासिनी अम्ब,
देहु दर्श जगदम्ब अब करहु न मातु विलम्ब ॥
नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदम्ब ।
सन्तजनों के काज में, करती नहीं विलम्ब ॥