Logo

आषाढ़ विनायक चतुर्थी व्रत कथा

आषाढ़ विनायक चतुर्थी व्रत कथा

Ashadha Vinayak Chaturthi Katha: आषाढ़ विनायक चतुर्थी के दिन पढ़ें ये व्रत कथा, पूरी होगी हर मनोकामना

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी मनाई जाती है, लेकिन आषाढ़ मास की विनायक चतुर्थी विशेष रूप से फल्दायाक मानी जाती है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा, व्रत और कथा पाठ करने से जीवन के समस्त विघ्न समाप्त होते हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ विनायक चतुर्थी 28 जून को मनाई जाएगी।  

विनायक चतुर्थी व्रत कथा 

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव और माता पार्वती नर्मदा नदी के तट पर विराजमान थे और मनोरंजन हेतु दोनों ने चौपड़ (पारंपरिक खेल) खेलने का निर्णय लिया। खेल के दौरान बार-बार यह प्रश्न उठा कि जीत किसकी हुई है, क्योंकि दोनों में से कोई भी हार मानने को तैयार नहीं था।

निर्णायक की आवश्यकता को समझते हुए, भगवान शिव ने घास-फूस और मिट्टी से एक बालक का निर्माण किया और उसमें अपने तपोबल से प्राण डाल दिए। उस बालक से कहा गया कि वह खेल का निष्पक्ष निर्णय करे। माता पार्वती खेल में लगातार तीन बार जीत गईं, लेकिन बालक ने भगवान शिव को विजेता घोषित कर दिया।

माता पार्वती को यह निर्णय अनुचित लगा और उन्होंने क्रोधित होकर बालक को श्राप दे दिया कि वह जीवनभर लंगड़ा (विकलांग) रहेगा। बालक इस निर्णय से अत्यंत दुखी हुआ और उसने माता पार्वती से क्षमा मांगी। किंतु पार्वती ने कहा कि श्राप वापस नहीं लिया जा सकता, परंतु उन्होंने बालक को एक उपाय बताया।

उन्होंने कहा कि यदि वह भगवान गणेश की आराधना और विनायक चतुर्थी का व्रत श्रद्धा से करेगा, तो उसे इस श्राप से मुक्ति मिल सकती है। बालक ने माता के बताए अनुसार कठोर व्रत और नियमों के साथ गणेश पूजन किया।

विनायक चतुर्थी व्रत से दूर हुई थी विकलांगता

भगवान गणेश की कृपा से उसकी भक्ति सफल हुई और कुछ ही दिनों में उसकी विकलांगता समाप्त हो गई। वह वापस से स्वस्थ और तेजस्वी हो गया। यह देखकर माता पार्वती भी प्रसन्न हुईं और उन्होंने उसे आशीर्वाद दिया।

........................................................................................................
शरण में आये हैं हम तुम्हारी (Sharan Mein Aaye Hain Hum Tumhari)

शरण में आये हैं हम तुम्हारी,
दया करो हे दयालु भगवन ।

शरण में हम तुम्हारे आ पड़े है (Sharan Mein Hum Tumhare Aa Pade Hai)

शरण में हम तुम्हारे आ पड़े है,
ओ भोले तेरे द्वारे आ पड़े है,

शरण तेरी आयों बांके बिहारी (Sharan Teri Aayo Banke Bihari)

शरण तेरी आयो बांके बिहारी,
शरण तेरी आयों बांके बिहारी ॥

शीश गंग अर्धंग पार्वती (Sheesh Gang Ardhang Parvati)

शीश गंग अर्धंग पार्वती,
सदा विराजत कैलासी ।

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang