क्यों मनाते हैं गणेश जयंती

गणेश जयंती क्यों मनाई जाती है? जानिए इसके पीछे का वजह 


गणेश जयंती भगवान गणेश जी के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाई जाती है। पंचांग के अनुसार यह पर्व हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन विधि-विधान से गणेश जी की पूजा-अर्चना से करने से साधक को बुद्धि बल और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। भगवान गणेश जी को माता पार्वती ने विनायक नाम दिया था। इसलिए, इस दिन को अन्य नामों से भी जाना जाता है। तो आइए, इस आर्टिकल में गणेश जयंती मानने के पीछे की पौराणिक कथा के बारे में विस्तार पूर्वक जानते हैं। 


गणेश जयंती के पीछे की कथा 


पौराणिक कथा के अनुसार, जन्म के समय भगवान गणेश जी भी मनुष्य की तरह ही थे। हालांकि, बाद में उन्हें हाथी के सिर वाले भगवान की उपाधि मिली। शास्त्रों में उल्लेख है कि देवी पार्वती ने अपने पति की अनुपस्थिति में एक बच्चे की कामना की और हल्दी के लेप से एक मानव लड़के का निर्माण किया और उसे जीवन दिया। उन्होंने उसका नाम विनायक रखा जो ज्ञान का प्रतीक था। उन्होंने उसे स्नान करते समय प्रवेश द्वार की रखवाली करने का निर्देश दिया और जब भगवान शिव वापस लौटे और उन्हें विनायक ने प्रवेश करने से रोक दिया। तो पुत्र और पिता के बीच युद्ध हुआ। इसके परिणामस्वरूप शिव ने विनायक का सिर काट दिया। अपनी गलती का एहसास होने पर शिव ने उसके सिर की जगह एक हाथी का सिर लगा दिया और उसे पुनर्जीवित कर दिया।


इसके बाद देवताओं द्वारा उसे गणों का नेता गणेश या गज के सिर वाला बालक गजानन नाम दिया। बाद में भगवान श्री गणेश को सभी देवताओं ने आशीर्वाद दिया और वे बुद्धि, समृद्धि, शुभता और बाधाओं को दूर करने वाले देवता बन गए। इस कारण, माघ गणेश जयंती भगवान गणेश के दिव्य जन्म के विशिष्ट दिवस के रूप में पूरी श्रद्धा से मनाया जाता है।  


हिंदू धर्म में गणपति जी का महत्व


हिंदू धर्म में, गणेश जयंती प्रार्थना, प्रसाद और उत्सव से भरा दिन है। जो भगवान गणेश जी के गहरे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को दर्शाता है। भक्त गणेश जी को बाधाओं को दूर करने की उनकी क्षमता के लिए पूजते हैं और उन्हें विघ्नहर्ता कहा जाता है। साथ ही उन्हें ज्ञान और सफलता प्रदान करने वाले सिद्धिविनायक गणेश जी के रूप में भी पूजा जाता है।   

  

गणेश जयंती मनाने के अन्य कारण 


भक्तों का मानना है कि भगवान गणेश जी बाधाओं को दूर करने वाले और आरंभ के देवता हैं। इसलिए, वे जिन्हें आशीर्वाद देंगे और उसके लिए समृद्धि और सफलता का मार्ग प्रशस्त होगा। 

भगवान श्री गणेश के जन्म पर उनकी स्तुति से  ज्ञान प्राप्त करने में मदद मिलती है। माघी गणेश जयंती के दौरान भक्त उपवास रखते हैं, पूजा करते हैं और आत्मा की शुद्धि के लिए विभिन्न धार्मिक गतिविधियों में भाग लेते हैं। धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध होने के अलावा गणेश जयंती परिवारों के एकत्र होने और समुदायों के लिए सामाजिक और पारिवारिक बंधन को मजबूत करने का भी एक अवसर प्रदान करता है। 


........................................................................................................
श्री रुद्राष्टकम् (Shri Rudrashtakam)

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।

छठी माई के घटिया पे (Chhati Mai Ke Ghatiya Pe)

छठी माई के घटिया पे,
आजन बाजन,

आ दरश दिखा दे मेरी माँ (Aa Darsh Dikha De Meri Maa)

आ दरश दिखा दे मेरी माँ,
तुझे तेरे लाल बुलाते है,

गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र (Gajendr Moksh Stotr )

एवं व्यवसितो बुद्ध्या समाधाय मनो हृदि।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने