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कब है मकर संक्रांति

कब है मकर संक्रांति

Makar Sankranti 2025: 13 या 14 जनवरी कब है मकर संक्रांति? जानें सही तिथि और शुभ मुहूर्त


मकर संक्रांति हिन्दुओं का प्रमुख पर्व होता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। तब ये पर्व मनाया जाता है। इस साल मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा। मकर संक्रांति से ही ऋतु परिवर्तन भी होने लगता है। इस दिन स्नान और दान-पुण्य जैसे कार्यों का विशेष महत्व माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने और खाने का खास महत्व होता है। तो आइए, इस आर्टिकल में विस्तार से जानते हैं कि मकर संक्रांति की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पौराणिक मान्यता। 


13 या 14 जनवरी को कब है मकर संक्रांति? 


सूर्य देव 14 जनवरी 2025 को 8:54 मिनट पर अपने पुत्र शनि की स्वामित्व वाली मकर राशि में आ रहे हैं। शास्त्रों के अनुसार जब सूर्य धनु राशि की अपनी यात्रा को समाप्त करते हुए मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में आ जाते हैं। उत्तरायण को देवता का दिन कहा जाता है।


जानिए मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त 


उदया तिथि के अनुसार, मकर संक्रांति इस बार 14 जनवरी 2025 को ही मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य सुबह 8 बजकर 41 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। वहीं, हिंदू पंचांग के अनुसार मकर संक्रांति पुण्य काल का समय सुबह 9 बजकर 03 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। जबकि, महापुण्य काल का समय सुबह 9 बजकर 03 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक रहेगा।


मकर संक्रांति के दिन क्या करें? 


  • इस दिन प्रातःकाल स्नान कर लोटे में लाल फूल और अक्षत डाल कर सूर्य को अर्घ्य दें। 
  • सूर्य के बीज मंत्र का जाप करें। श्रीमदभागवद के एक अध्याय का पाठ करें या गीता का पाठ करें। 
  • नए अन्न, कम्बल, तिल और घी का दान करें। भोजन में नए अन्न की खिचड़ी बनाएं। 
  • भोजन भगवान को समर्पित करके प्रसाद रूप से ग्रहण करें। 
  • संध्या काल में अन्न का सेवन ना करें। 
  • इस दिन किसी गरीब व्यक्ति को बर्तन समेत तिल का दान करने से शनि से जुड़ी हर पीड़ा से मुक्ति मिलती है।


मकर संक्रांति पर दान का महत्व


मकर संक्रांति पर दान करना बहुत ही महत्वपूर्ण कहलाता है। इसके पीछे कारण यह है कि मकर राशि के स्वामी शनि देव हैं। जो सूर्य को अपना शत्रु मानते हैं। जबकि, सूर्य देव शनि को अपना शत्रु नहीं मानते हैं। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश होने से शनि प्रभावित होते हैं। इसका असर जनजीवन पर पड़ता है। इन लोगों की कुंडली में शनिदेव की स्थिति अच्छी होती है उनको इसका असर कम देखने को मिलता है।

हालांकि, लेकिन इसके विपरीत जिन लोगों की कुंडली में शनि कमजोर या दुर्बल स्थिती में होते हैं। उनको इसके दुष्परिणाम दिखाई देते हैं। गरीब एवं मजदूर वर्ग को शनि का कारक माना जाता है। जिस वजह से सूर्य एवं शनि से संबंधित वस्तुएं जैसे गुड़, रेवड़ी, खिचड़ी, बाजरा, मूंगफली, कपड़े, कंबल आदि वस्तुओं का दान करना बेहद शुभ और फलदायी होता है। मकर संक्रांति पर इन वस्तुओं का दान करने से सूर्य एवं शनि के शुभ परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। 


अलग-अलग क्षेत्रों में अलग तरह से मनाई जाती है मकर संक्रांति


  • लोहड़ी (पंजाब): अलाव जलाए जाते हैं और लोक गीतों और नृत्यों के साथ जश्न मनाया जाता है।
  • पोंगल (तमिलनाडु): रंगीन सजावट और सूर्य देव को प्रसाद चढ़ाने वाला चार दिवसीय फसल उत्सव।
  • भोगली बिहू (असम): अलाव, दावत और सांस्कृतिक प्रदर्शनों वाला फसल उत्सव।
  • माघी साखी (हिमाचल प्रदेश): हिमाचल प्रदेश के स्थानीय लोग माघ साजी को मकर संक्रांति के रूप में मनाते हैं। संक्रांति को स्थानीय रूप से साजी के नाम से जाना जाता है। इस महीने को माघ कहा जाता है। लोग इस दिन भगवान का आशीर्वाद लेने के लिए मंदिरों में जाते हैं और क्षेत्र की पवित्र नदियों में डुबकी लगाते हैं।
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यशोदा जयंती व्रत यम-नियम

सनातन हिंदू धर्म में, यशोदा जयंती का दिन विशेष महत्व रखता है। इस दिन व्रत के साथ माता यशोदा और भगवान श्री कृष्ण के पूजन का भी विधान है। इस पर्व पर शुद्ध भाव से पूजा-पाठ, व्रत और सेवा करने से माता यशोदा और भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।

यशोदा जयंती व्रत विधि और लाभ

हिंदू धर्म में यशोदा जयंती बहुत ही पावन मानी गई है। इस दिन को भगवान श्री कृष्ण की मां यशोदा के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण ने माता देवकी के गर्भ से जन्म लिया था।

यशोदा जयंती पूजा विधि

सनातन हिंदू धर्म में, यशोदा जयंती, माता यशोदा के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है। माता यशोदा को भगवान श्रीकृष्ण की माता के रूप में माना जाता है।

क्यों खास है यशोदा जयंती

हिंदू धर्म में यशोदा जयंती बहुत खास मानी जाती है। यशोदा जयंती का त्योहार भगवान श्रीकृष्ण की मां यशोदा के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने भले ही माता देवकी के गर्भ से जन्म लिया था परंतु उनका पालन-पोषण माता यशोदा ने ही किया था।

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