मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत सनातन धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन पूजा-पाठ, स्नान-दान और भगवान की आराधना करने से साधक को शुभ फल प्राप्त होते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण, विष्णु जी और चंद्रदेव की पूजा करना अत्यंत फलदायी होता है। इसके साथ ही, यदि इस दिन कुछ विशेष उपाय किए जाएं, तो व्यक्ति को मनोवांछित फल और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
साल 2024 की आखिरी पूर्णिमा मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि को पड़ रही है। वैदिक पंचांग के अनुसार, यह पूर्णिमा तिथि 14 दिसंबर 2024 को दोपहर 04:58 बजे आरंभ होकर 15 दिसंबर 2024 को दोपहर 02:31 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत 15 दिसंबर 2024 को रखा जाएगा।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन स्नान-दान के लिए दो शुभ मुहूर्त हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त और अभिजीत मुहूर्त में पूजा-पाठ और स्नान-दान करने से व्यक्ति को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
कुरुवंश के कुलगुरु के रूप विख्यात कृपाचार्य महर्षि यानी संत होने के साथ-साथ अद्वितीय योद्धा भी थे
भगवान परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार के रूप में जाने जाते हैं हालांकि कुछ जगहों पर इन्हें केवल एक अंशावतार कहा जाता है।
वशिष्ठ ऋषि वैदिक काल के विख्यात ऋषि थे। वे उन सात ऋषियों (सप्तर्षि) में से एक हैं जिन्हें ईश्वर द्वारा सत्य का ज्ञान प्राप्त हुआ था और जिन्होंने वेदों में निहित ज्ञान को मानव तक पहुंचाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए थे।
विश्वामित्र प्रसिद्ध सप्तऋषियों और महान ऋषियों में से एक हैं। विश्वामित्र एक ऋग्वैदिक ऋषि हैं जो ऋग्वेद के मंडल ३ के मुख्य लेखक थे।