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पुरूषों से कैसे अलग है महिला नागा साधुओं का पहनावा

पुरूषों से कैसे अलग है महिला नागा साधुओं का पहनावा

MahaKumbh 2025: पुरुषों की तरह नग्न नहीं रहती है महिला नागा साध्वियां, जानें उनके वस्त्रों के बारे में 


भारतीय संस्कृति और अध्यात्म के सबसे बड़ा पर्व महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है। दुनिया भर से करोड़ों श्रद्धालु और साधु-संत प्रयाग के संगम तट पर डुबकी लगाने के लिए पहुंच रहे हैं। हालांकि इस आयोजन का एक मुख्य आकर्षण नागा साधुओं और साध्वियों की उपस्थिति है, जिनकी जीवनशैली हमेशा चर्चा का विषय रहती  है।  पुरुष नागा साधु आमतौर पर अपने शरीर पर भस्म लगाकर नग्न रहते हैं, महिला नागा साध्वियां इस परंपरा का पालन नहीं करतीं। वे अपने वस्त्रों के माध्यम से न केवल गरिमा बनाए रखती हैं। चलिए  आज आपको महिला नागा साध्वियों के पहनावे के बारे में बताते हैं। 



महिला नागा साधुओं के वस्त्रों की विशेषता 


महिला नागा साध्वियां आम तौर पर सफेद, भगवा, गेरुआ और भूरे रंग के वस्त्र धारण करती हैं। यह रंग त्याग, साधना और संतत्व का प्रतीक माना जाते हैं। कई नागा साध्वियां अपने शरीर को चुनरी , साड़ी और चादर से भी ढकती हैं यह वस्त्र साधारण दिखने के बावजूद उनके जीवन के उच्च आदर्शों और संयम को दर्शाते हैं। साथ ही लोगों को बताते भी हैं कि साध्वी ने सांसारिक मोह-माया से मुक्ति पा लिया और अपने आप को  ईश्वर को समर्पित कर दिया है। आप देखेंगे कि महिला नागा साध्वियों के पहनावे में किसी भी प्रकार की सजावट या आडंबर का अभाव होता है, जो उनके संन्यासी जीवन को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है।



कैसे बनती हैं महिला नागा साधु?


महिला नागा साधु बनने की प्रक्रिया भी पुरुषों की तरह ही है।  उन्हें सांसारिक जीवन से मोह त्यागना पड़ता है , अपना पिंड करना होता है। इसके अलावा  महिलाओं को भी कठिन तप करना पड़ता है,जिसमें अग्नि के सामने बैठकर तपस्या करना,  जंगलों या पहाड़ों पर रहना शामिल है। इसके साथ ही उन्हें  परीक्षा के तौर पर 6 से 12 साल तक सख्त ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। इसके बाद ही गुरु उन्हें नागा साधु बनने की अनुमति देते हैं।  नागा साधु बनने के बाद महिलाएं शरीर पर भस्म लगाती हैं। और उन्हें माता कहा जाता है। उन्हें माथे पर तिलक लगाया जाता है।


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