अन्नवरम सत्यनारायण मंदिर, जिसे अन्नवरम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, भारत के आंध्र प्रदेश में एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है, जो भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है। यह प्राचीन और महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है जो सालाना हजारों भक्तों और पर्यटकों को आकर्षित करता है। मंदिर परिसर में प्राचीन मूर्तियों, नक्काशी और मंदिरों की एक श्रृंखला भी है। य़हां की मूर्ति एक दिव्य प्रकाश के तहत पाई गई थी जिसने ग्रामीणों को उस स्थान पर जाने का मार्गदर्शन किया था? रत्नागिरी पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर एक धार्मिक तीर्थ से कहीं बढ़कर है। यह आध्यात्मिक क्षेत्र और आश्चर्यजनक दृश्यों का प्रवेश द्वार है। अन्नवरम सत्यनारायण भगवान सत्यदेव और उनकी सहचरी श्री अनंत लक्ष्मी को समर्पित है। भगवान सत्यदेव भगवान विष्णु के अवतार हैं।
मंदिर की विशिष्टता यह है कि गर्भगृह में भगवान शिव की छवि भी स्थापित है। भगवान सत्यदेव हिंदुओं के तीनों प्रमुख देवताओं - भगवान शिव, भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु का अद्वितीय प्रदर्शन हैं। मूर्ति का आधार भगवान ब्रह्मा का प्रतिनिधित्व करता है। मूर्ति के मध्य में भगवान शिव हैं और सबसे ऊपर की मूर्ति भगवान विष्णु का प्रतिनिधित्व करती है।
अन्नवरम मंदिर का इतिहास जितना पुराना है उतना की आकर्षक भी है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान सत्यनारायण स्वामी एक भक्त के सपने में आए और उसे रत्नागिरी पहाड़ी पर एक मंदिर बनाने के लिए कहा। तब से ही ये श्रद्धालुओं के लिए पवित्र भूमि रही है। इस मंदिर का निर्माण 19वीं शताब्दी में हुआ था, और इसके साथ कई मिथक भी जुड़े हुए है जो इसकी सुंदरता को और बढ़ाते हैं। पिछले कुछ सालो में ये विभिन्न पुनर्निमाण चरणों पर कई परिवर्तनों से गुजरा है। अन्नवरम मंदिर का निर्माण द्रविड़ और चालुक्य वास्तुकला का एक अच्छा उदाहरण है, जिसमें सुंदर नक्काशीदार खंभे, विशाल गोपुरम और सुंदर भित्तिचित्रों वाला एक गर्भगृह है। मंदिर परिसर को ब्रह्मांड का प्रतिनिधित्व करने के लिए बनाया गया है, और हर इमारत ब्रह्मांड के एक हिस्से का प्रतिनिधित्व करती है। मुख्य गर्भगृह में भगवान वीरा वेंकट सत्यनारायण स्वामी की मूर्ति है, जो शांत और अधिकार की अनुभूति कराती है।
अन्नवरम मंदिर में राजमर्रा की गतिविधियां एक अद्भुत दृश्य है। दिन की शुरुआत सुबह की सेवा से होती है, जो सुबह भगवान को शांत रुप से जगाने का आह्वान है, जिसके बाद विभिन्न पूजाएं और अभिषेक होते है। सबसे लोकप्रिय सत्यनारायण व्रत है, जिसमें हजारों लोग सुख और समृद्धि प्राप्त करने के लिए आते हैं। मंदिर में उगादी और संक्रांति जैसे त्योहार भी होते हैं, जिन्हें जुलूसों और सांस्कृतिक मंडलियों के साथ बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।
अन्नवरम मंदिर हर दिन सुबह खुलता है। भक्त सुबह 5 बजे से मंदिर में प्रवेश कर सकते है। रात को 9 बजे तक ज्यादा से ज्यादा श्रद्धालु एवं पर्यटक आते रहते हैं। इस मंदिर में भक्तों के लिए प्रवेश निःशुल्क है।
हवाई मार्ग - यहां का निकटतम हवाई अड्डा राजमुंदरी है, जो साइट से लगभग 72 किलोमीटर दूर है। हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद आप टैक्सी किराए पर लेकर मंदिर पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग - अन्नवरम रेलवे स्टेशन मंदिर से सिर्फ 2 किलोमीटर दूर है। यहां के लिए प्रमुख शहरों से सीधी ट्रेने है। स्टेशन से लगभग दस मिनट की ऑटो-रिक्शा की सवारी से आप मंदिर पहुंच जाएंगे।
सड़क मार्ग - सड़क मार्ग से मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। विशाखापट्टनम और राजमुंदरी से नियमित बसें और टैक्सियां उपलब्ध हैं।
माघ माह की अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन लोग पूजा-अर्चना और पितरों की पूजा में भाग लेते हैं। मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य प्राप्ति होती है और पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
2025 में उदयातिथि के अनुसार, 30 जनवरी 2025 को माघ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत होगी और 7 फरवरी 2025 को गुप्त नवरात्रि का समापन होगा। ऐसे में माघ गुप्त नवरात्र की शुरुआत 30 जनवरी से होगी।
साल में दो बार गुप्त नवरात्र मनाया जाता है। गुप्त नवरात्र मां दुर्गा को समर्पित पर्व है। इस दौरान लोग 10 महाविद्याओं की उपासना करते हैं। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि में वृद्धि के लिए व्रत भी किया जाता है।
हिंदू धर्म में नवरात्रि का त्योहार देवी माँ के विभिन्न रूपों की पूजा करने हेतु मनाया जाता है। यहां, नवरात्रि शब्द में 'नव' का अर्थ नौ और 'रात्रि' का अर्थ है रातें। इन नौ रातों में देवी मां के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। हालांकि, 4 नवरात्रियों में से एक माघी नवरात्रि गृहस्थ लोगों के लिए नहीं होती है।