मंदिर अब बनने लगा है,
भगवा रंग चढ़ने लगा है,
मंदिर जब बन जायेगा,
सोच नजारा क्या होगा,
देश हमारा देश हमारा,
सोच के देखो,
इससे प्यारा क्या होगा ॥
काशी अब सजने लगा है,
डमरू भी बजने लगा है,
काशी अब सजने लगा है,
डमरू भी बजने लगा है,
डमरू जब असर करेगा,
सोच नजारा क्या होगा,
देश हमारा देश हमारा,
सोच के देखो,
इससे प्यारा क्या होगा ॥
मथुरा भी सजने लगी है,
बंशी अब बजने लगी है,
मथुरा भी सजने लगी है,
बंशी अब बजने लगी है,
बंशी जब बज जायेगी,
सोच नजारा क्या होगा,
देश हमारा देश हमारा,
सोच के देखो,
इससे प्यारा क्या होगा ॥
मंदिर अब बनने लगा है,
भगवा रंग चढ़ने लगा है,
मंदिर जब बन जायेगा,
सोच नजारा क्या होगा,
देश हमारा देश हमारा,
सोच के देखो,
इससे प्यारा क्या होगा ॥
मंदिर अब बनने लगा है,
भगवा रंग चढ़ने लगा है,
मंदिर अब बनने लगा है,
भगवा रंग चढ़ने लगा है,
मंदिर अब बनने लगा है,
भगवा रंग चढ़ने लगा है,
मंदिर अब बनने लगा है,
भगवा रंग चढ़ने लगा है,
हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह की अमावस्या तिथि का विशेष धार्मिक महत्व है। यह तिथि पितरों की शांति के लिए विशेष मानी जाती है और इस दिन स्नान, दान, जप, और तर्पण करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
परशुराम जयंती सनातन धर्म के एक अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह पर्व भगवान विष्णु के छठे अवतार, परशुराम जी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है।
सनातन धर्म के परंपरा में अन्वाधान और इष्टि जैसे पर्व का विशेष महत्व है। ये दोनों वैष्णव संप्रदाय से जुड़े श्रद्धालुओं के अनुष्ठान हैं जो विशेष रूप से अमावस्या, पूर्णिमा और शुभ मुहूर्तों पर किए जाते हैं।
भगवान परशुराम, जिन्हें भगवान विष्णु के छठे अवतार के रूप में पूजा जाता है, वह पौराणिक कथाओं में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और अत्यधिक चर्चित व्यक्ति हैं।