मेरे मिथिला देश में, आओ दूल्हा भेष ।
ताते यही उपासना, चाहिए हमें हमेशा ॥
सियारानी का अचल सुहाग रहे ।
मैया रानी का अचल सुहाग रहे ।
राजा राम जी के सिर पर ताज रहे ॥
जब तक पृथ्वी अहिषीश रहे ।
नभ में शशि सूर्य प्रकाश रहे ।
गंगा जमुना की धार रहे ।
तब तक यह बानक बना रहे ॥
॥ सियारानी का अचल सुहाग रहे...॥
ये बना रहें वे बनीं रहें ।
नित बना बनीं में बनीं रहें ॥
अविचल श्री अवध का राज रहे ।
अविरल श्री सरयू की धार बहे ।
॥ सियारानी का अचल सुहाग रहे...॥
प्रेमीजन का बरभाग रहे ।
चरणों में नित अनुराग रहे ॥
ये सुहाग रहे सिरताज रहे ।
नित नित यह बानक बना रहे ॥
॥ सियारानी का अचल सुहाग रहे...॥
सियारानी का अचल सुहाग रहे ।
मैया रानी का अचल सुहाग रहे ।
राजा राम जी के सिर पर ताज रहे ॥
हिंदू धर्म में हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप, काल भैरव की पूजा की जाती है और इसे कालाष्टमी के रूप में मनाया जाता है।
एक तमन्ना माँ है मेरी,
दिल में बसा लूँ सूरत तेरी,
मेरे बाबा साथ,
छोड़ना ना तुझे है कसम,
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।