चन्दन चौक पुरावा,
मंगल कलश सजावा,
आओ आओ ना बाबा जी,
म्हारे आंगणे,
आओ आओ ना बाबा जी,
म्हारे आंगणे,
चंदन चौक पुरावा ॥
थारे मंदरिये में नित आवा,
आकर थारी म्हे ज्योत जगावा,
कंचन थाल सजावा,
चूरमो भोग लगावा,
आओ आओ ना बाबा जी,
म्हारे आंगणे,
आओ आओ ना बाबा जी,
म्हारे आंगणे,
चंदन चौक पुरावा ॥
बाबा थारे तो दरश म्हे प्यासा,
पूरी कर द्यो ना थे मन री आशा,
आज थाने रिझावा,
थाने भजन सुनावा,
आओ आओ ना बाबा जी,
म्हारे आंगणे,
आओ आओ ना बाबा जी,
म्हारे आंगणे,
चंदन चौक पुरावा ॥
बाबा लिले पे चढ़ के थे आओ,
म्हारे मनडे में भक्ति जगाओ,
थारे चरणा में आवा,
आके धोक लगावा,
आओ आओ ना बाबा जी,
म्हारे आंगणे,
आओ आओ ना बाबा जी,
म्हारे आंगणे,
चंदन चौक पुरावा ॥
बाबा मैं भी तो टाबर हूँ थारो,
म्हारा अटक्योड़ा कारज सारो,
ग्यारस रात जगावा,
हिल मिल थाने ही ध्यावा,
आओ आओ ना बाबा जी,
म्हारे आंगणे,
आओ आओ ना बाबा जी,
म्हारे आंगणे,
चंदन चौक पुरावा ॥
चन्दन चौक पुरावा,
मंगल कलश सजावा,
आओ आओ ना बाबा जी,
म्हारे आंगणे,
आओ आओ ना बाबा जी,
म्हारे आंगणे,
चंदन चौक पुरावा ॥
अमावस्या एक ऐसा दिन होता है जब ना तो चंद्रमा क्षय होता है ना ही उदित। दरअसल, अमावस्या सूर्य और चंद्र के मिलन का समय होता है। चंद्रमा हमारे मन मस्तिष्क पर सबसे अधिक प्रभाव डालता है।
संगम तट पर लगे महाकुंभ में लाखों साधु-संत अपनी धुनी रमाए प्रभु की भक्ति में लीन हैं। इनमें नागा साधु, अघोरी, साधु, संत शामिल हैं। इन संतों में कई तरह के संन्यासी आए हुए हैं। इन्हें लेकर कई तरह के रहस्य भी लोगों के मन में हैं।
हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि को स्नान और दान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। प्रत्येक माह आने वाली अमावस्या को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं।
मौनी अमावस्या पर महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान होगा। इस बार अमावस्या तिथि को काफी खास माना जा रहा है। बता दें कि महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हो चुका है और रोजाना करीब लाखों की संख्या में श्रद्धालु संगम में स्नान करने के लिए पहुंच रहे हैं।