चन्दन चौक पुरावा,
मंगल कलश सजावा,
आओ आओ ना बाबा जी,
म्हारे आंगणे,
आओ आओ ना बाबा जी,
म्हारे आंगणे,
चंदन चौक पुरावा ॥
थारे मंदरिये में नित आवा,
आकर थारी म्हे ज्योत जगावा,
कंचन थाल सजावा,
चूरमो भोग लगावा,
आओ आओ ना बाबा जी,
म्हारे आंगणे,
आओ आओ ना बाबा जी,
म्हारे आंगणे,
चंदन चौक पुरावा ॥
बाबा थारे तो दरश म्हे प्यासा,
पूरी कर द्यो ना थे मन री आशा,
आज थाने रिझावा,
थाने भजन सुनावा,
आओ आओ ना बाबा जी,
म्हारे आंगणे,
आओ आओ ना बाबा जी,
म्हारे आंगणे,
चंदन चौक पुरावा ॥
बाबा लिले पे चढ़ के थे आओ,
म्हारे मनडे में भक्ति जगाओ,
थारे चरणा में आवा,
आके धोक लगावा,
आओ आओ ना बाबा जी,
म्हारे आंगणे,
आओ आओ ना बाबा जी,
म्हारे आंगणे,
चंदन चौक पुरावा ॥
बाबा मैं भी तो टाबर हूँ थारो,
म्हारा अटक्योड़ा कारज सारो,
ग्यारस रात जगावा,
हिल मिल थाने ही ध्यावा,
आओ आओ ना बाबा जी,
म्हारे आंगणे,
आओ आओ ना बाबा जी,
म्हारे आंगणे,
चंदन चौक पुरावा ॥
चन्दन चौक पुरावा,
मंगल कलश सजावा,
आओ आओ ना बाबा जी,
म्हारे आंगणे,
आओ आओ ना बाबा जी,
म्हारे आंगणे,
चंदन चौक पुरावा ॥
सनातन धर्म में वायु देवता बेहद महत्वपूर्ण माने जाते हैं। वेदों में इनका कई बार वर्णन मिलता है और इन्हें भीम का पिता और हनुमान के आध्यात्मिक पिता माना जाता है। वायु पांच तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश) में से एक है और इसे जीवन का आधार माना जाता है।
हिंदू धर्म में भानु सप्तमी का व्रत विशेष रूप से सूर्यदेव को समर्पित है। यह दिन सूर्यदेव की पूजा-अर्चना करने के लिए विशेष माना जाता है।
हर माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर यदि रविवार होता है, तो उस दिन भानु सप्तमी मनाई जाती है। मार्गशीर्ष मास में ये विशेष संयोग 08 दिसंबर, रविवार को बन रहा है।
भानु सप्तमी एक महत्वपूर्ण तिथि है जो सूर्य देव की पूजा और आराधना के लिए समर्पित है। इस दिन विशेष रूप से सूर्यदेव की पूजा विधिवत रूप से करने का विधान है।