दर्शन की प्यासी नजरिया,
मैया लीजे खबरिया ॥
खप्पर वाली माँ जगदम्बा,
चंडी ज्वाला अम्बा अम्बा,
ओढ़े लाल चुनरिया,
मैया लीजे खबरिया ॥
रण में महिषासुर को मारे,
माँ का शेरा जब हुंकारे,
दीखे लाल नज़रिया,
मैया लीजे खबरिया ॥
खंज़र चक्र त्रिशूल संभाले,
लाल नयन और जीभ निकाले,
चुनरी रंग केसरिया,
मैया लीजे खबरिया ॥
गाते गुण माँ भगत तुम्हारे,
आन बसों माँ हृदय हमारे,
‘राजेन्द्र’ की सुनलो अरज़िया,
मैया लीजे खबरिया ॥
दर्शन की प्यासी नजरिया,
मैया लीजे खबरिया ॥
महाकुंभ के धार्मिक त्यौहार में श्रद्धालुओं और साधु संतों का जमावड़ा नजर आने वाला है। इस मौके पर लाखों श्रद्धालु और साधु संत प्रयागराज में एकत्रित होंगे और आस्था की डुबकी लगाएंगे। महाकुंभ के दौरान कुल छह शाही स्नान होंगे, जिनमें से पहला शाही स्नान 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा पर होगा।
महाकुंभ मेला हर 12 साल में भारत के चार पवित्र स्थलों—प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक—में आयोजित किया जाता है। साल 2025 में यह दिव्य आयोजन प्रयागराज में होगा, जो लगभग 30 से 45 दिनों तक चलेगा।
महाकुंभ की शुरुआत में अब केवल 15 दिन से भी कम का समय बचा है। इससे पहले, विभिन्न अखाड़े प्रयागराज में अपनी पेशवाई निकाल रहे हैं और नगर में प्रवेश कर रहे हैं। कई अखाड़ों ने अपनी पेशवाई पूरी कर ली है, जिन्हें देखने के लिए प्रयाग का वातावरण उमड़ पड़ा है।
प्रयागराज महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है, और साधु-संतों का आगमन शुरू हो चुका है। 13 जनवरी से कल्पवासी भी आने लगेंगे, और यह महाकुंभ 26 फरवरी तक चलेगा। इस दौरान संगम किनारे करोड़ों श्रद्धालु 45 दिनों तक कल्पवास करेंगे।