चंद्र दर्शन पर ऐसे दें चंद्र देव को अर्घ्य, मानसिक और शारीरिक रोग से मिलेगी मुक्ति
ज्योतिष शास्त्रों में चंद्रमा को शांति, सौम्यता, मानसिक संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, चंद्र देव की पूजा भक्तों के जीवन में शांति, समृद्धि और सौभाग्य लाता है। विशेष रूप से चंद्र दर्शन के दिन चंद्र देव को अर्घ्य देने की परंपरा अत्यंत फलदायी मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इससे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। साथ ही, जीवन में रुके हुए कार्यों में भी प्रगति आती है।
चांदी के कलश में दे चंद्र देव को अर्घ्य
- चंद्र देव को अर्घ्य देने से पहले यह सामग्री विशेष रूप से एकत्रित कर लें।
- जल से भरा हुआ कलश
- सफेद फूल
- रंगे हुए अक्षत
- सफेद चंदन
- दूध, दही
- सफेद रंग की कोई मिठाई
- घी का दीपक
- चांदी या पीतल का कलश
अर्घ्य देने के बाद करें कुछ विशेष मंत्रों का जाप
- सबसे पहले एक स्वच्छ पीतल या चांदी का कलश लें और उसमें शुद्ध जल भरें।
- फिर जल में सफेद फूल, अक्षत, थोड़ा दूध, सफेद चंदन और दही मिलाएं।
- अब इस विशेष जल को चंद्र देव की ओर मुख करके चंद्रमा के उदय के समय या रात्रि में खुले आकाश के नीचे खड़े होकर चंद्र देव को अर्पित करें।
- इसके बाद घी का दीपक जलाएं और चंद्र देव के सामने रखें।
- फिर ‘ॐ स्रां श्रीं स्रौं सः चंद्रमसे नमः’ या ‘जय चंद्रमा देव’ मंत्र का 108 बार जाप करें।
- जाप करने के बाद कुछ देर चंद्रमा की रोशनी में बैठें और फिर प्रणाम करें।
चंद्र देव को अर्घ देते समय इन बातों का भी रखें विशेष ध्यान
- चंद्र देव को अर्घ्य देते समय शांत मन से पूजा करनी चाहिए और जल अर्पित करते हुए मंत्रों का उच्चारण शुद्ध रूप से करना चाहिए।
- चंद्र दर्शन के दिन किसी जरूरतमंद को सफेद वस्त्र, चावल, दूध या मिश्री का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- साथ ही, इस दिन व्रत रखने से चंद्र दोषों से मुक्ति मिलती है और ग्रहों का आशीर्वाद भी बढ़ता है।
- ऐसा कहा जाता है की मानसिक तनाव और अस्थिरता से जूझ रहे लोगों के लिए यह दिन विशेष रूप से लाभकारी होता है।
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