गणेश जी के नाम से भक्तो का,
कल्याण हमेशा होता है,
पड़ती है नज़र जिस पर भी तेरी,
पड़ती है नज़र जिस पर भी तेरी,
उद्धार उसी का होता है,
गणेश जी के नाम से भक्तों का ॥
धन की देवी बनी तेरी दासी है,
तेरे दर्शन को अखियां ये प्यासी है,
चैन मिलता है तुझको रिझाने में,
कुछ नहीं है तेरे बिन ज़माने में,
तेरे ही साए के तले जिंदगी ये पल रही है,
बिना तेरे नाम के दुनिया में,
कोई काम कभी ना होता है,
पड़ती है नज़र जिस पर भी तेरी,
पड़ती है नज़र जिस पर भी तेरी,
उद्धार उसी का होता है,
गणेश जी के नाम से भक्तों का ॥
कष्ट दुनिया के तू ही मिटाता है,
भूखे को तू ही रोटी खिलाता है,
आए दर पे तेरे हम सवाली है,
दया द्रष्टि अपनी करो,
हमपे ऐ कृपालु प्रभु,
काम क्रोध लोभ मोह छोड़े जो,
गुणगान उसी का होता है,
पड़ती है नज़र जिस पर भी तेरी,
पड़ती है नज़र जिस पर भी तेरी,
उद्धार उसी का होता है,
गणेश जी के नाम से भक्तों का ॥
अपनी अखियों में तुझको बसा ले हम,
अपनी पलकों में तुझको बिठा ले हम,
रूप तेरा प्रभु जग से न्यारा है,
गौरी भोले की अखियों का तारा है,
बढती ही जानती है लगन,
देख तेरी मूर्ति हो,
तेरे ही प्रताप से दुनिया में,
हर काम सभी का होता है,
पड़ती है नज़र जिस पर भी तेरी,
पड़ती है नज़र जिस पर भी तेरी,
उद्धार उसी का होता है,
गणेश जी के नाम से भक्तों का ॥
मेरे लब पे तेरी ही कहानी हो,
तेरी भक्ति मेरी जिंदगानी हो,
मेरे मन में सदा तेरी मूरत हो,
मेरी आँखों में तेरी ही सूरत हो,
दिल में सदा जलती रहे,
ज्योति तेरे ज्ञान की हो,
नाम तेरा दिल से जो लेते है,
सम्मान उन्ही का होता है,
पड़ती है नज़र जिस पर भी तेरी,
पड़ती है नज़र जिस पर भी तेरी,
उद्धार उसी का होता है,
गणेश जी के नाम से भक्तों का ॥
गणेश जी के नाम से भक्तो का,
कल्याण हमेशा होता है,
पड़ती है नज़र जिस पर भी तेरी,
पड़ती है नज़र जिस पर भी तेरी,
उद्धार उसी का होता है,
गणेश जी के नाम से भक्तों का ॥
हिंदू विवाह से पहले कई रस्में और परंपराएं निभाई जाती हैं, जो दूल्हा-दुल्हन के लिए बेहद खास और यादगार होती हैं। ये रस्में न केवल दोनों परिवारों को एक-दूसरे के करीब लाती हैं, बल्कि विवाह के पवित्र बंधन की शुरुआत भी करती हैं। इनमें पारंपरिक गीत, नृत्य और अनुष्ठान शामिल होते हैं, जो विवाह उत्सव को और भी रंगीन व यादगार बना देते हैं।
पंचांग के अनुसार फाल्गुना माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि है। वहीं आज बुधवार का दिन है। इस तिथि पर स्वाति नक्षत्र और वृद्धि योग का संयोग बन रहा है।
मार्च का महीना हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन और चैत्र महीने में बंटा होता है। इस महीने में प्रकृति अपने रंग-बिरंगे रूप में नज़र आती है। वसंत ऋतु की शुरुआत होती है और प्रकृति नए जीवन से भर जाती है।
पंचांग के अनुसार फाल्गुना माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है। वहीं आज गुरुवार का दिन है। इस तिथि पर शतभिषा नक्षत्र और ध्रुव योग का संयोग बन रहा है।